दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि वे देश में उपलब्ध कुल स्पेक्ट्रम का ऑडिट कराने के प्रस्ताव के पक्ष में हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने स्पेक्ट्रम का ऑडिट कराने का प्रस्ताव किया है। कैग द्वारा स्पेक्ट्रम का ऑडिट कराने से यह पता चल सकेगा कि वर्ष 2000 से आगे किस लागत पर निजी दूरसंचार ऑपरेटरों को कितना स्पेक्ट्रम आवटित किया गया।
राजधानी दिल्ली में मंगलवार को उद्योग संगठन फिक्की की 83वीं सालाना आमसभा (एजीएम) में सिब्बल ने कहा, ‘‘हम स्पेक्ट्रम के साझा इस्तेमाल और ऑडिट का समर्थन करते हैं।’’ रिपोर्टों के मुताबिक, कैग ने देश में उपलब्ध कुल स्पेक्ट्रम और वर्ष 2000 से आगे किस मूल्य पर निजी दूरसंचार ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया है, इस पर दूरसंचार विभाग से विवरण मांगा है।
दूरसंचार विभाग भी स्पेक्ट्रम की उपलब्धता और अभी तक विभिन्न ऑपरेटरों व सरकारी एजेन्सियों को आवंटित स्पेक्ट्रम की मात्रा पर एक अध्ययन करा रहा है। स्पेक्ट्रम आवंटन पर दूरसंचार ऑपरेटरों के बीच टकराव के संबंध में सिब्बल का मानना है कि तू-तू मैं-मैं करने के बजाय दूरसंचार कंपनियों को इस क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए।