शेयर बाज़ार बहुत-बहुत धनवालों और बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों व एफपीआई जैसे बड़े-बड़े संस्थागत निवेशकों का खेल है। इसमें आम लोगों को म्यूचुअल फंड के ज़रिए ही एंट्री लेनी चाहिए क्योंकि तब वे भी बड़ी निवेशक संस्था का हिस्सा बन जाते हैं। दुनिया भर का यही रिवाज़ है क्योंकि इसी में आम निवेशकों की सुरक्षा है। रिटेल ट्रेडर तो शुरू से ही महारथियों से पंगा लेता है। इसलिए आम या रिटेल ट्रेडर को बहुत हुआ तो स्विंग, मोमेंटम या पोजिशनल ट्रेडिंग ही आजमानी चाहिए। इस तरीके से भी जो मरजीवड़े ट्रेडिंग में उतरना चाहते हैं, उन्हें संस्थाओं की राह की थाह लेनी होगी। उनके कदमों के निशान खोजने होंगे। अन्यथा मन की हरसतें उन्हें दो-चार दिन में ही कंगाल बना देती हैं। वहीं, हम ओल्ड फॉक्स के नाम से मशहूर राधाकृष्ण दामाणी से लेकर सुनील सिंघानिया, आशीष धवन, आशीष कचोलिया, नेमिश शाह, वल्लभ भंसाली व विजय केडिया जैसे स्थापित ट्रेडरों व निवेशकों पर नज़र डालें तो वे कभी किसी सूरत में कंगाल या दीवालिया नहीं होते। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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