लो, पिट लिए बाजार पीटनेवाले

ट्रेडरों से लेकर निवेशक तक सभी यूरो, हंगरी, ग्रीस और पिग्स (पुर्तगाल, आयरलैंड, ग्रीस व स्पेन का संक्षिप्त नाम) का हल्ला मचा रहे थे। लेकिन बाजार ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया, गलत साबित कर दिया। लेहमान के समय यही लोग कार्ड घोटाले की बात कर रहे थे। उसके बाद इन पर मुद्रास्फीति और ब्याज दरों का भूत सवार हो गया। लेकिन क्या आज सचमुच कोई मुद्रास्फीति और ब्याज दरों की बात कर रहा है? बाजार को डराने के लिए कोई न कोई भूत चाहिए तो भाई लोगों ने यूरोप का भूत खड़ा कर दिया। बेहतर तो यह हुआ होता कि गिरते बाजार में शेयर बेचकर घाटा उठाने के बजाय आप यूरोप टूर का सस्ता पैकेज लेकर खुद वहां का हालचाल देख-समझ आए होते। यूरोपवासी यूरोप को लेकर नकारात्मक नहीं हैं। हां, हम भारतीय जरूर यूरोप के डूबने की चिंता में हलकान हुए जा रहे हैं।

ब्रोकर किसी भी धंधे में रहें, सही मायनों में दलाल ही होते हैं। सही ही कहा जाता है कि आप कमाएं या गंवाएं, ब्रोकर को आप पर कोई दया नहीं आती क्योंकि आपके रोज ट्रेड करने से ही उनका धंधा-धर्म चलता है। ये जो चार्टों की बहार आई हुई है, यह ब्रोकरों की ही देन है। उन्होंने आपको चार्टों का चाट लगाई है। हालांकि, अगर हम निवेशक लोग हवा के साथ बह जाते हैं तो इसका दोष उन पर क्यों मंढ़ना!

हम अपने निवेश का फैसला करने वक्त रिसर्च आधारित जानकारियों की जरूरत ही नहीं समझते। जबकि बिना सही जानकारी के सही निवेश हो ही नहीं सकता। हमारे पैर जमीन पर मजबूती से डटे नहीं रहेंगे तो हवा का कोई भी झोंका हमें बहा ले जा सकता है। यह मजबूती हमें रिसर्च और गहरी छानबीन से ही मिलती है।

खैर, मैंने अपना काम कर दिया और एक बार मेरा आकलन सही साबित हुआ है। निफ्टी वापस 5090 पर आ गया है, जबकि खिलाड़ी इसे 4750 तक ले जाने का शोर मचाए हुए थे। लेकिन सबकी हरकत और भाव-भंगिमा अब बदल गई है। वे परेशान हैं क्योंकि बाजार में वोल्यूम घटता जा रहा है। स्टॉक एक्सचेंज ऐसी कड़क निगरानी में लगे हैं कि रिटेल निवेशकों को चोट पर चोट लग रही है। बहुत से ब्रोकरों ने अपनी राय बदल ली है। वे कहने लगे हैं कि अभी तो पहले निफ्टी 5500 पर जाएगा और उसके बाद 4750 पर। हां, अगस्त के अंत यह 4000 तक भी जा सकता है। उन्होंने इस तरह की रिपोर्ट भी जारी करनी शुरू कर दी हैं।

यह तो होना ही था क्योंकि हम तेजी के बाजार के बीच में खड़े हैं। हम यकीनन तेजी के दौर में रहेंगे और निफ्टी को 5500 और 5700 का स्तर छूना ही है, भले ही चाहे जो हो जाए। अभी के लिए इतना ही। मेरी तो यही सोच है कि ऑल इज वेल…

जिस दिन आप अपने विनम्र होने का दम भरने लगते हो, उसी दिन आपकी विनम्रता खत्म हो जाती है। इसी तरह स्वाभिमान का हल्ला भी उसके मिट जाने का आगाज करता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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