कल बाजार डीएमके से जुडे नेताओं पर सीबीआई के छापों के कारण गिर गया। लेकिन इसे तूल देना एकदम गलत है क्योंकि डीएमके सत्ता से बाहर रहना गवारा नहीं कर सकती। विपक्ष ठीक ही कह रहा है कि इतनी देर से छापे मारना महज दिखावा है क्योंकि इस बीच गुनहगारों को इतना वक्त मिल गया कि वे तमाम कागकाज इधर से उधर कर चुके होंगे। इसलिए छापों से सीबीआई को काम का कुछ नहीं मिला होगा। असल में बाजार में उथल-पुथल मचाने के लिए कुछ बहाना चाहिए और इससे बेहतर बहाना और क्या हो सकता था!
निफ्टी में ज्यादा खरीद का तेवर आज एक सिरे से गायब दिखा है जिससे लगता है कि एफआईआई अब छुट्टी पर जा चुके हैं। ऑपरेटर फिलहाल ए ग्रुप में उतरने से पहले अपने स्टॉक्स का हाल दुरुस्त करेंगे। अभी तो उनकी सारी ऊर्जा उन स्टॉक्स की अच्छी-खासी मात्रा जुटाने में लग गई है जिन्हें वे मैनेज करते या चलाते हैं। वे एक दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। लेकिन जल्दी ही वे इससे बाहर निकल आएंगे।
बाजार में इस समय भयंकर निराशा छाई हुई है और इस तरह तेजी के नए दौर के लिए आदर्श जमीन तैयार हो चुकी है। बाजार को राजनीतिक स्थायित्व, सीबीआई के छापों के परिणाम, सेबी की अपेक्षित कार्रवाई और घोटाले में कुछ अन्य स्टॉक्स के शामिल होने को लेकर काफी डर लग रहा है। लेकिन इस बीच घोटाले के दागी सभी अच्छे स्टॉक्स तलहटी छूने के बाद 20 से 100 फीसदी तक उठ चुके हैं। बाकी कुछ स्टॉक्स निचले सर्किट ब्रेकर में फंसे हैं तो इसकी वजह यह है कि उनके ऑपरेटर कमजोर हैं और फंडिंग करनेवालों की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि इन स्टॉक्स का रेट 36 फीसदी सालाना तक बढ़ गया है और जल्दी ही ये कोमा से बाहर निकल आएंगे। इन स्टॉक्स के लिए ऑपरेटर 36 फीसदी तक ज्यादा दाम देने को तैयार हैं क्योंकि उनका मानना है कि 7 से 10 कारोबारी सत्रों में ही ये 40 फीसदी बढ़ सकते हैं। हालांकि मेरा कहना है कि ऐसे स्टॉक्स से दूर रहें और केवल दमदार मूल्यवान स्टॉक्स ही खरीदें। गिलैंडर्स, विमप्लास्ट, विंडसर मशींस, त्रिवेणी ग्लास, बालासोर एलॉयज, कैम्फर और क्विंटेग्रा सोल्यूशंस ने साबित कर दिया है कि उन्हें नचाया नहीं जा सकता। इस दौरान अपने कुछ खराब स्टॉक्स को निकालकर अच्छे स्टॉक्स में बदल लीजिए।
रिजर्व बैंक ने एसएलआर में एक फीसदी कमी के अलावा ओएमओ के तहत 48,000 करोड़ रुपए बाजार में डालने का फैसला किया है। यह रकम एडवांस टैक्स में मिले 55,000 करोड़ रुपए के समतुल्य है। लेकिन मुझे जो असली बात लगती है, वह है दृष्टिकोण में बदलाव। एसएलआर में कमी अरसे बाद की गई है और यह काफी सकारात्मक कदम है। यह वित्तीय सुधारों की शुरुआत का इशारा है।
डाउ जोंस के बारे में जैसा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि यह आनेवाले महीनों में 16,000 तक जाने को तैयार है। अमेरिका में क्रिसमस पर जमकर खर्च होना है क्योंकि वहां काफी कैश लोगों के हाथ में आ चुका है। क्वांटीटेटिव ईजिंग या क्यूई-2 का असर सामने आने लगा है। क्यूई-3 का सिलसिला 7 जनवरी से शुरू होगा जो अमेरिका में कंपनियों के नतीजों के साथ कदम मिलाकर चलेगा।
जहां तक अपने बाजार की बात है कि हम एकदम तलहटी पर पहुंच चुके हैं। जितना नकारात्मक होना था, हो चुका है। भावना बद से बदतर हो चुकी है। फुल कंफ्यूजन है। राजनीतिक अस्थिरता है। कुछ भी साफ नहीं, धुंधलाया हुआ है। अब इससे और ज्यादा बुरा क्या हो सकता है? इसलिए और परेशान होने की जरूरत नहीं। शांत रहिए और अपना निवेश बरकरार रखिए।
रास्ता मेरी आंखों के सामने है, पर नहीं जानता यह मुझे कहां ले जाएगा। मंजिल का पता न होना ही मुझे बराबर चलाता रहता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)