महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह का हिस्सा बन चुकी महिंद्रा सत्यम तीन साल पुराने उस दाग को पूरी तरह निकाल देने में लगी है, जब उसका नाम सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज हुआ करता था और उसके मूल प्रवर्तक रामालिंगा राजू ने कंपनी के खातों में करीब 14,000 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की थी। राजू ने 7 जनवरी 2009 को किए गए खुलासे में खातों में करीब 7800 करोड़ के घपले की बात मानी थी। लेकिन बाद में यह रकम बढ़ती चली गई।
महिंद्रा सत्यम ने सोमवार को आधिकारिक रूप से जानकारी दी कि उसने कंपनी के पूर्व निदेशकों, कुछ कर्मचारियों और पूर्व ऑडिटर फर्म प्राइस वॉटरहाउस के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है जिसमें 2009 में हुए घोटाले से पहुंचे नुकसान के लिए हर्जाना मांगा गया है। आपको याद ही होगा कि सत्यम देश के कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है और उसे कॉरपोरेट गवर्नैंस की सबसे बड़ी विफलता माना गया है।
हैदराबाद की एक अदालत में दायर नए मुकदमे में आरोप लगाया है कि इन लोगों ने फ्रॉड करने से लेकर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वाह में लापरवाही बरती है। इस बीच घोटाले के मुख्य आरोपी रामालिंगा राजू को नवंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है क्योंकि सीबीआई उसके खिलाफ समय पर आरोप-पत्र नहीं दाखिल कर सकी।
गौरतलब है कि सरकार ने अच्छी पहल करके सत्यम को किसी तरह बचा लिया और अप्रैल 2010 में एक नीलामी के जरिए इसे महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह ने खरीद लिया। बाद में उसने इसका नाम महिंद्रा सत्यम कर दिया और कहा कि इसे कभी बाद में समूह की मुख्य आईटी कंपनी टेक महिंद्रा के साथ मिलाया जा सकता है। लेकिन इस बीच महिंद्रा सत्यम अपनी स्वतंत्र स्थिति मजबूत करती जा रही है।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 की सितंबर तिमाही में उसने 1478.80 करोड़ रुपए की आय पर 231.63 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। बाजार को दिसंबर तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 250 से 270 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। सोमवार को महिंद्रा सत्यम के शेयर में काफी सक्रियता देखी गई। एनएसई में उसका शेयर 8.28 फीसदी बढ़कर 73.20 रुपए और बीएसई में 8 फीसदी बढ़कर 72.90 रुपए पर बंद हुआ। बीएसई में उसमें हुआ वोल्यूम 37.21 लाख शेयरों का रहा, वहीं एनएसई में इसके 1.12 करोड़ शेयरों में कारोबार हुआ।