मुंह में राम, बगल में छूरी की फितरत वाले लोगों को अगर भारत की सत्ता मिल जाए तो वे आत्मनिर्भर बनाने की बात कहते-कहते देश को विदेश पर निर्भर बना देते हैं। मोदी सरकार ने पिछले 11 सालों में यही किया है। मेक-इन इंडिया और डिफेंस में आत्मनिर्भरता के दावों में छिपा सच है कि भारत युद्ध में फंसे यूक्रेन के बाद आज भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य साजो-सामान आयातक देश है। हमारे डिफेंस बजट का लगभग 40% हिस्सा विदेशी कंपनियों से अस्त्र-शस्त्र खरीदने में चला जाता है। 11 साल वैसे तो कम नहीं होते। फिर भी हम डिफेंस को छोड़ सकते हैं क्योंकि रातों-रात स्थिति नहीं बदल सकती। मगर, कृषि की स्थिति भी वही है जहां हमारी 54.6% आबादी मर-खप रही है। दालों व खाद्य तेलों का आयात नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। बीते वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में 73 लाख टन दालों का रिकॉर्ड आयात हुआ है जिस पर 550 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा खर्च हुई है। इससे पहले का रिकॉर्ड 2016-17 में 420 करोड़ डॉलर में 66 लाख टन दालों का आयात करने का था। देश में खाद्य तेलों का आयात तो मोदी सरकार के 11 सालों में दोगुने से ज्यादा हो गया है। 2013-14 के 79 लाख टन से 2024-25 में 164 लाख टन। इस तरह परनिर्भरता हो गई दोगुनी। अब सोमवार का व्योम…
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