तारीख 27 सितंबर 2024। उस दिन देश का विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के ऐतिहासिक शिखर पर था। उसी दिन बीएसई सेंसेक्स ने 85,978.25 और एनएसई निफ्टी ने 26,277.35 का ऐतिहासिक शिखर चूमा था। तब एक डॉलर 83.72 रुपए का हुआ करता था। यही वो दिन था, जब से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाज़ार से मोहभंग होना शुरू हुआ। एनएसडीएल के आधिकारिक डेटा के मुताबिक वे तब से 24 जनवरी 2024 तक हमारे शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट से शुद्ध रूप से करीब ₹1,65,548 लाख करोड़ (19.21 अरब डॉलर) निकाल चुके हैं। इसमें से ₹64,156 करोड़ तो उन्होंने जनवरी में ही निकाले हैं। रिजर्व बैंक के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 17 जनवरी 2025 को खत्म सप्ताह तक घटकर 623.98 अरब डॉलर पर आ चुका है। रिकॉर्ड स्तर से 80.90 अरब डॉलर कम। इस दौरान सेंसेक्स शिखर से 11.38% और निफ्टी 12.12% नीचे उतरा है, जबकि डॉलर के मुताबिक रुपया 2.85% हल्का हुआ है। मतलब साफ है कि केवल शेयर बाज़ार से ही नहीं, दूसरी जगहों से भी जमकर डॉलर निकले हैं। आखिर ऐसा क्यों? बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इसका जवाब देना होगा। अब सोमवार का व्योम…
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