शरीर अपना काम करीने से करता है। मगर हम उसकी व्यवस्था में खलल डालते हैं तो लड़खड़ाने लगता है। दवा से मदद करना अच्छा है। लेकिन दारू या तंबाकू तो शरीर की धमनियों तक को झकझोर डालते हैं। इसलिए उनसे तौबा ही बेहतर है।
2012-06-21
शरीर अपना काम करीने से करता है। मगर हम उसकी व्यवस्था में खलल डालते हैं तो लड़खड़ाने लगता है। दवा से मदद करना अच्छा है। लेकिन दारू या तंबाकू तो शरीर की धमनियों तक को झकझोर डालते हैं। इसलिए उनसे तौबा ही बेहतर है।
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