महा-मुंबई सेज रिलांयस के हाथ से गया, किसानों का दबाव रंग लाया

महाराष्ट्र सरकार ने रिलायंस के रायगढ़ जिले में स्थित महा मुंबई विशेष आर्थिक ज़ोन  (एसईजेड या सेज) को खत्म करने के संकेत देते हुए कहा कि किसान अपनी भूमि का मनमाफिक इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट के अनुसार राज्य सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार ने भूमि दस्तावेज में से सेज के लिए आरक्षित संकेत संख्या सात बटा बारह को हटाने का निर्णय किया है।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरॉट ने ‘किसानों के हित में’ लिया है क्योंकि सेज के लिए भूमि अधिग्रहण का काम निर्धारित अवधि में नहीं हो पाया था। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण के वास्ते दो साल का समय निर्धारित किया गया था। निर्धारित अवधि दिसंबर 2009 में ही खत्म हो गई। लेकिन सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई थी।

सेज विरोधी संघर्ष समिति की प्रतिनिधि उल्का महाजन ने कहा ‘‘अब तक किसान दुविधा में थे लेकिन, अब वे अपनी जमीन के इस्तेमाल को लेकर स्वतंत्र हैं। यह देश के अन्य सेज क्षेत्रों के लिए एक उदाहरण होगा। रायगढ़ के 35,000 एकड़ में प्रस्तावित सेज के लिए भूमि अधिग्रहण का काम मई 2006 में शुरू हुआ था। लेकिन किसानों के जबरदस्त विरोध की वजह से कंपनी निर्धारित अवधि में मात्र 13 फीसदी भूमि ही अधिग्रहित कर पाई। सितंबर 2008 में राज्य सरकार ने जनमत-संग्रह करवाया था, जिसमे गांववासियों ने परियोजना का विरोध किया था।

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