पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने कुर्सी का धर्म निभाते हुए पेट्रोलियम तेल की मार्केटिंग में लगी सरकारी कंपनियों की शिकायत ऊपर तक पहुंचा दी है। उन्होंने मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर डीजल व रसोईं गैस के दाम बढ़ाने का फैसला जल्द करने की मांग की। ये दोनों उत्पाद राजनीतिक व आर्थिक दृष्टि से संवेदनशील माने जाते हैं। रेड्डी ने पिछले हफ्ते इसी मामले में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से भी मुलाकात की थी।
गौरतलब है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में संशोधन पर निर्णय के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित अधिकार सम्पन्न मंत्रियों का समूह (ईजीओएम) डीजल और पेट्रोल की कीमतों के मामले में पिछले साल के जून के बाद से एक बार भी नहीं मिला है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं।
सूत्रों के अनुसार पेट्रोलियम मंत्री ने प्रधानमंत्री से 15 मिनट की मुलाकात में सरकारी तेल कंपनियों की वित्तीय स्थिति के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मूल्य-नियंत्रण व्यवस्था में काम कर रही सरकारी कंपनियों को रोजाना करीब 450 करोड़ रुपए की आमदनी का नुकसान हो रहा है। हालांकि रेड्डी ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनके मुताबिक अभी तक इस मसले पर अधिकार सम्पन्न मंत्रियों के समूह की बैठक के बारे में कुछ भी निर्णय नहीं किया गया है।
बता दें कि सरकार को इस प्रकार का कठिन निर्णय लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता है। इससे पहले मुखर्जी से मुलाकात के बाद रेड्डी ने कहा था, ‘‘मैंने तेल बिक्री करने वाली कंपनियों के बढ़ते घाटे के बारे में बातचीत की है। इन कंपनियों को रोजाना करीब 450 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।’’
पहले इस मामले में अधिकार सम्पन्न मंत्रियों के समूह की बैठक 11 मई को होनी थी। लेकिन आखिरी समय पर बैठक को स्थगित कर दिया गया। मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की एक बैठक 9 जून को होने की चर्चा थी। लेकिन वास्तव में इस बैठक का कोई कार्यक्रम तय ही नहीं हुआ था।