रिजर्व बैंक ग्राहक सेवाओं को लेकर बैंकों के प्रति अपना रुख कड़ा करनेवाला है। बहुत संभावना है कि सेबी के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन की अध्यक्षता में बैंकों की ग्राहक सेवाओं पर गठित समिति हफ्ते भर बाद 15 फरवरी को अपनी रिपोर्ट रिजर्व बैंक को सौंप देगी। वैसे, यह रिपोर्ट के आने में करीब दो हफ्ते की देर हो चुकी है क्योंकि रिजर्व बैंक ने 2 नवंबर 2010 को मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में कहा था कि दामोदर समिति की रिपोर्ट जनवरी 2011 के अंत तक आ जाएगी। समिति का गठन जून 2010 में किया गया था।
रिजर्व बैंक ग्राहकों से जुड़े कई मामलों में बैंकों की जवाबदेही बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। इस सिलसिले में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर व ग्राहक सेवाओं के प्रभारी डॉ. के सी चक्रवर्ती ने शनिवार, 5 फरवरी को मनीलाइफ फाउंडेशन के एक समारोह में बताया था कि रिजर्व बैंक ने हाल ही में एटीएम इस्तेमाल करनेवाले ग्राहकों का एक सर्वे कराया है जिसके निष्कर्षों पर विचार करने के बाद वह ऐसा कानूनी प्रावधान करने की कोशिश कर रहा है जिसमें यह साबित करना बैंक की जिम्मेदारी होगी कि ग्राहक ने एटीएम से गलत तरीके से धन निकाला है।
अभी एटीएम से धन न निकलने पर भी खाते में निकासी दर्ज हो जाने पर ग्राहक को साबित करना होता है कि उसने धन नहीं निकाला है। इसी तरह कोई दूसरा उसके चेक का इस्तेमाल कर धन निकाल लेता है, तब भी ग्राहक को साबित करना होता कि चेक पर उसके हस्ताक्षर जाली थे। रिजर्व बैंक ऐसा कानूनी प्रावधान करने पर सोच रहा है ताकि गलती साबित करने की जिम्मेदारी बैंक पर डाल दी जाए।
सूत्रों के मुताबिक ग्राहक सेवाओं से जुड़े ऐसे कई मसलों पर दामोदरन समिति अपनी रिपोर्ट में नई सिफारिशें करनी वाली है। इसमें ग्राहक सेवाओं में कोताही पर बैंकों पर भारी जुर्माना लगाने की सिफारिश शामिल है। समिति ने बैंकिंग ओम्बड्समैन को ज्यादा ताकतवर बनाने की पेशकश की है। इसके लिए 1995 से शुरू बैंकिंग ओम्बड्समैन स्कीम के कानूनी प्रावधानों में सुधार करना होगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि ओम्बड्समैन बोलने व समझने में बहुत कठिन शब्द है। इसलिए इसकी जगह केवल ‘लोकपाल’ का इस्तेमाल किया जा सकता है। तब स्कीम का नाम बदलकर बैंकिंग लोकपाल स्कीम कर दिया जाएगा। रिपोर्ट मिलने के बाद रिजर्व बैंक इसे सार्वजनिक बहस के लिए पेश करेगा और प्रतिक्रियाओं पर विचार-विमर्श के बाद ग्राहक सेवाओं को दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देगा।
बता दें कि रिजर्व बैंक के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक 2009-10 में बैंकिंग ओम्बड्समैन को ग्राहकों की कुल 79,266 शिकायतें मिली थीं जो इससे पिछले साल 2008-09 में मिली 69,177 शिकायतों से 15 फीसदी अधिक हैं। इनमें से ज्यादातर शिकायतें क्रेडिट कार्ड से संबंधित हैं। अभी देश भर में बैंकिंग ओम्बड्समैन के कुल 15 कार्यालय हैं जो ज्यादातर राज्यों की राजधानियों में हैं।