रिजर्व बैंक ने कमाया, सरकार ने उड़ाया

भारतीय रिजर्व बैंक पहले भी कमाता था और अब भी कमाता है। वो अपना सारा खर्च खुद उठाता है। लेकिन उसके खजाने पर आज तक मोदी सरकार जैसा हाथ साफ किसी ने नहीं किया था। वो रुपए को संभालने के लिए बाज़ार में डॉलर बेचता है, उस पर भी कमाता है। मसलन, 2024-25 में उसने 399 अरब डॉलर बेचे, जबकि 2023-24 में 153 अरब डॉलर ही बेचे थे। उसकी कुल आस्तियों में विदेशी मुद्रा 64.4% और भारत सरकार की प्रतिभूतियां 20.7% हैं। बीते वित्त वर्ष 2024-25 में उसकी विदेशी मुद्रा आस्तियां रिवैल्यूएशन की वजह से ही 1.3% बढ़ गईं। रिजर्व बैंक दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) तक में डिपॉजिट रखता है। उसने अमेरिकी सरकार ट्रेजरी बॉन्डों में करीब 265 अरब डॉलर लगा रखे हैं। वो भारत सरकार से लेकर राज्य सरकारों के लिए ऋण का इंतजाम करता है। इसमें उसे कमीशन मिलता है। साथ ही बॉन्डों पर ब्याज से कमाता है। बैंकों व एनबीएफसी को अल्पकालिक ऋण देकर भी कमाता है। लेकिन उसने अपने लाभ से केंद्र सरकार को 2003-04 से 2013-14 तक के दस साल में कुल ₹78,829 करोड़ लाभांश दिया था। वहीं, 2014-15 में मोदी सरकार ने आते ही उससे अचानक ₹52,679 करोड़ का लाभांश वसूल लिया। तब से अब तक मोदी सरकार रिजर्व बैंक के खजाने से ₹11,54,539 करोड़ झटक चुकी है। अब बुधवार की बुद्धि…

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