15 नवंबर तक सरकारी बैंकों पर होगा फैसला

सरकार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान छह सरकारी बैंकों को 20,000 करोड़ रुपए की पूंजी मुहैया कराएगी। वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं के सचिव डी के मित्तल का कहना है कि, “वित्त सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति बैंकों को वित्तीय मदद की जरूरत का आकलन कर रही है। यह समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट दे देगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श के बाद हम 15 नवंबर तक बैंकों के पूंजी पुनर्गठन के लिए दी जाने वाली राशि के बारे में अंतिम फैसला कर लेंगे। यह राशि 20,000 करोड़ रुपए के करीब होगी।”

जिन छह बैंकों को यह रकम दी जाएगी, उनमें बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक, सिंडिकेट बैक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक व बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। इससे इन बैंकों की टियर-वन पूंजी का अनुपात न्यूनतम 8 फीसदी हो जाएगा। इस अनुपात से पता चलता है कि बैंक के पास जोखिम सहन करने की कितनी क्षमता है। स्टेट बैंक का यह अनुपात आठ फीसदी से कम हो गया था, जिसके नाम पर स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने हाल ही में इसकी रेटिंग घटा दी है।

दरअसल, सरकार को इन बैंकों को वित्तीय मदद इसलिए देने की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि ये आंतरिक स्रोतों से इस राशि का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। पिछले वर्ष भी इन बैंकों को 20,117 करोड़ रुपए की मदद दी गई थी। इसके लिए विश्व बैंक से कर्ज लिया गया था। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार अपने खजाने से ही इन्हें यह राशि देने जा रही है। बजट में इसके लिए सिर्फ 6000 करोड़ रुपए का प्रावधान था। आगामी शीत सत्र में सरकार अनुपूरक मांगों के जरिए 14,000 करोड़ रुपए का इंतजाम और करेगी।

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