युद्ध का उन्माद नहीं, शांति और विकास

युद्ध-विराम की घोषणा हो चुकी है। फिर भी देश का खास-ओ-आम अब भी युद्ध के उन्माद में उलझा हुआ है। उसे कौन समझाए कि यह विनाश का रास्ता है, विकास का नहीं। ऐसे उन्माद से दुनिया की हथियार लॉबी और राजनीतिक सत्ता का ही स्वार्थ सधता है। बाकी किसी का नहीं। इसके बजाय देश में विकास पर व्यापक बहस होनी चाहिए जिसमें हर किसी को शामिल किया जाए, शहर-शहर, गांव-गांव, गली-गली, चाय व पान की दुकानों और चौराहों पर। विकास किसी की बपौती या ठेकेदारी नहीं। आज बूढ़े से लेकर बच्चे तक, भारत का हर 146 करोड़ देशवासी टैक्स दे रहा है तो उसके टैक्स से विकास कैसे होगा, इसमें उसकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यही लोकतंत्र का तकाजा है। पाकिस्तान मर रहा है, इस पर परपीड़ा का आनंद लेने के बजाय हमें सोचना चाहिए कि चीन और भारत ने 1980 में साथ शुरुआत की थी। लेकिन आज चीन कहां पहुंच गया और हम कहां अटके पड़े हैं? चीन का जीडीपी 1980 में 303 अरब डॉलर था जो 2024 तक करीब 61 गुना बढ़कर 18.53 ट्रिलियन डॉलर हो चुका है। वहीं, इस दौरान भारत का जीडीपी 186 अरब डॉलर से 21 गुना बढ़कर 3.93 ट्रिलियन तक ही पहुंचा। ऐसा क्यों? अब सोमवार का व्योम…

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...

Existing Users Log In
   
New User Registration
Please indicate that you agree to the Terms of Service *
captcha
*Required field