इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार तीन महिलाओं को संयुक्त रूप से दिया गया है। इनमें से एलेन जॉनसन सरलीफ और लेमाह गबोवी लाइबेरिया की हैं, जबकि तवाक्कुल करमान यमन की रहने वाली हैं।
पांच सदस्यों वाली नोबेल समिति ने शुक्रवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि इन तीनों ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए जिस तरह से अहिंसक संघर्ष किया है, उसकी वजह से वे इस पुरस्कार की हक़दार हैं।
नोबेल पुरस्कारों की वेबसाइट पर कहा गया है कि एलेन जॉनसन सरलीफ अफ्रीका महाद्वीप में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पहली महिला राष्ट्रपति हैं। 2006 में राष्ट्रपति बनने के बाद से उन्होंने लाइबेरिया में शांति स्थापना, आर्थिक व सामाजिक विकास को बढ़ावा देने और महिलाओं की स्थिति मजबूत करने में योगदान दिया है। लेमाह गबोवी ने लाइबेरिया में लंबे समय से जारी लड़ाई के अंत के लिए और चुनावों में महिलाओं की भागीदारी तय कराने के लिए सभी जाति और धर्म की महिलाओं को एकजुट किया। पश्चिम अफ्रीका में युद्ध के दौरान और युद्ध के बाद उन्होंने महिलाओं का प्रभाव बढ़ाने के लिए काम किया।
तवाक्कुल करमान ने यमन में लोकतंत्र की बहाली, शांति और महिला अधिकारों के लिए संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई है। नोबेल समिति की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “जब तक महिलाओं को पुरुषों की तरह समाज के हर स्तर पर विकास में समान अवसर नहीं मिल जाता, तब तक हम दुनिया में सही मायने में लोकतंत्र और शांति नहीं हासिल कर सकते।”
इस साल शांति पुरस्कार के लिए रिकॉर्ड 241 नामांकन आए। इनमें से 188 व्यक्तियों के नाम थे और 53 संस्थाएं थीं। इनमें ट्यूनीशिया की ब्लॉगर लिना बेन महेना और विकी लीक्स को लेकर काफी चर्चा थी कि इनको नोबेल शांति पुरस्कार मिल सकता है।