एक बात में मोदी सरकार को कोई भी मात नहीं दे सकता, न भूतो न भविष्यति। वो है धन की उगाही। उसने 146 करोड़ देशवासियों में से किसी को नहीं छोड़ा। जीएसटी लगाकर नवजात बच्चे से लेकर मरनेवाले तक से टैक्स वसूलने की व्यवस्था कर ली। वो अपनी धन उगाही में कोई खलल नहीं चाहती। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल जब भी सस्ता हुआ, उसने एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपना खजाना भर लिया और आम ग्राहकों तक इसका लाभ नहीं पहुंचने दिया। समूचा मध्यवर्ग फरियाद करता रहा कि बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी हटा लिया जाए। लेकिन सरकार ने एक न सुनी। दुनिया के तमाम देश किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उत्पादों के निर्यात पर सब्सिडी देते हैं। लेकिन अपनी सरकार ने इनके निर्यात पर ड्यूटी लगा रखी है। वहीं, अपने 11 साल के शासन के दौरान मोदी सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र को कम से कम 20 लाख करोड़ रुपए की रियायत या तोहफा दे दिया। करीब 4 लाख करोड़ रुपए की टैक्स रियायत और 16 लाख करोड़ रुपए के ऋण बट्टेखाते में। ऊपर से सरकार ने जहां भी गुंजाइश थी, वहां से भारी उगाही का वैधानिक इंतज़ाम कर लिया। यहां तक कि उसने देश के धन के धमनी-तंत्र के केंद्र रिजर्व बैंक तक को नहीं छोड़ा। अब सोमवार का व्योम…
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