दलदल में धंसता गया एमटीएनएल

आप से यह साझा करने में मुझे कोई हर्ज नहीं लगता कि मैं भी एक छोटा निवेशक हूं। साल 2005 से निवेश करके सीखने-समझने की कोशिश में लगा हूं। हमेशा समझदारी से, पढ़-लिखकर निवेश करता हूं। खुद के फैसले पर कमाया है। औरों के कहने पर घाटा खाया है। पहले बड़े नामों पर भरोसा करता था। अब नहीं करता क्योंकि दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है। इकनॉमिक्स टाइम्स की इनवेस्टर गाइड में पहले एक इनसाइडर कॉलम आता था। दिसंबर 2007 की बात है। वहां लिखा गया कि एमटीएनएल में बहुत कुछ नया होने जा रहा है। कंपनी बोनस देने पर विचार कर रही है।

महानगरों में रहनेवाला कौन एमटीएनएल का नाम नहीं जानेगा। सो, मैंने भी ज्यादा तहकीकात किए बिना इकनॉमिक टाइम्स की सलाह पर भरोसा करके 24 दिसंबर 2007 को एनटीएनएल के 50 शेयर 181.20 रुपए के भाव पर खरीद लिए। 27 दिसंबर 2007 को 182.50 रुपए के भाव पर 50 शेयर और खरीदे। लेकिन शेयर गिरने लगा तो औसत लागत कम करने के लिए 22 जनवरी 2008 को 117.75 रुपए के भाव पर 50 और 8 फरवरी को 123.50 रुपए के भाव पर 50 शेयर और खरीद डाले। एमटीएनएल गिरता ही गया। 8 दिसंबर 2009 को मैंने 73.80 रुपए के भाव पर 200 शेयर और खरीद डाले। फिर भी गिरावट थमी नहीं। मेरी आखिरी खरीद 22 जून 2010 की है जब मैंने 65.30 रुपए के भाव पर 100 शेयर और खरीदे। बीच में दुखी होकर लागत घटाने के लिए छिटपुट खरीद करता रहा। इकनॉमिक टाइम्स को गाली देते हुए और उस पर भरोसा करने की अपनी बेवकूफी को कोसता रहा।

इस समय एमटीएनएल के मेरे 600 शेयरों की औसत लागत ब्रोकरेज वगैरह जोड़कर 98.93 रुपए है। कल यह शेयर बीएसई (कोड – 500108) में 2.47 फीसदी बढ़कर 31.10 रुपए और एनएसई (MTNL) में 2.48 फीसदी बढ़कर 31.05 रुपए पर बंद हुआ है। इसके इस महीने के फ्यूचर्स का भाव 31.20 रुपए है। अभी तक मुझे इसमें 59,358 रुपए की लागत पर 40,728 रुपए यानी 68.61 फीसदी का घाटा हो रहा है। पिछले हफ्ते 5 अक्टूबर 2011 को यह शेयर 29.20 रुपए की ऐतिहासिक तलहटी बना चुका है। लेकिन जून 2010 से मैं इसका पतन देखता जा रहा हूं। दुख बढ़ता जाता है। पहले एवरिंग करने का मन करता था। अब तो बस यही फिक्र है कि कब इससे निकलने का सही मौका मिल जाए। फिलहाल इसे दस-बीस साल रखे ही रखने का इरादा है। लेकिन किसी को यह शेयर खरीदने की सलाह नहीं दे सकता क्योंकि मैंने तो हकीकत न जानकर गलती कर दी। अब हकीकत जानता हूं तो सबको बता सकता हूं कि इस शेयर में भूलकर भी निवेश न करना।

मित्रों! सीखकर सिखाने का यही सिलसिला अर्थकाम के जरिए चला रहा हूं। सब कुछ छोड़-छाड़कर नया मंच बनाने में जुटा हूं। ऐसा इसलिए कि मुझे कहीं कोई ऐसा निष्पक्ष मंच नहीं मिला जो छोटे निवेशकों के सामने ईमानदारी से तथ्यों को पेश कर सके। मेधा, मेहनत और ईमानदारी मेरी पूंजी है। और, मुझे यकीन है कि हम आपस में मिलकर आम भारतीय निवेशकों के लिए ऐसा मंच बना लेंगे जहां उनके साथ छल नहीं होगा। वह मंच उन्हें इतना समझदार बना देगा कि हर छल का वे सीधे गिरेबान पकड़ सकते हैं। तथास्तु।

खैर, एमटीएनएल की बात पर लौटा जाए। कोई कह सकता है कि कंपनी के पास रिजर्व पर्याप्त हैं। उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 105.15 रुपए है। मौजूदा बाजार भाव से तीन गुनी। इसलिए इसमें निवेश किया जा सकता है। पूंजी तीन गुनी हो जाएगी। लेकिन जो कंपनी घाटे के दलदल में धंसती जा रही हो, उससे ऐसी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। कंपनी लगातार दो सालों से करीब 3000 करोड़ रुपए का कर-पूर्व घाटा खा रही है। इस साल जून तिमाही में उसका कर-पूर्व घाटा 850 करोड़ रुपए रहा है, जबकि साल भर पहले इसी अवधि में 450 रुपए था। इस बार ब्याज पर उसे 186 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े हैं, जबकि साल भर पहले यह खर्च 27.7 करोड़ रुपए था।

अजीब बात है कि एडेलवाइस का डाटाबैंक कहता है कि एनटीएनएल का ऋण-इक्विटी अनुपात मात्र 0.47 है और उस पर ऋण का बोझ 7458.61 करोड़ रुपए है। लेकिन अन्य स्रोतों के मुताबिक मार्च 2011 के अंत तक उस पर शुद्ध रूप से करीब 11,000 करोड़ रुपए का ऋण है। पिछले साल 3जी स्पेट्रम व ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) की नीलामी के बाद उसे दिल्ली व मुंबई सर्किल में 3जी के लिए 6564 करोड़ और बीडब्ल्यूए के लिए 4534 करोड़ रुपए अतिरिक्त देने पड़े हैं। 2009-10 के अंत में उसके पास कैश व बैंक बैलेंस 4891 करोड़ रुपए का था। 2010-11 के अंत तक यह महज 178 करोड़ रुपए पर आ गया।

पिछले महीने आई एचएसबीसी की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार एमटीएनएल अगर योजना के मुताबिक अपने एक तिहाई कर्मचारियों को वीआरएस दे सके तो प्रति शेयर उसके मूल्य में 30 रुपए जुड़ जाएंगे। अगर वह 3जी और बीडब्ल्यूए का स्पेक्ट्रम खुद इस्तेमाल करने के बजाय लीज पर दे दे तो उसके शेयर में 22 रुपए और जुड़ जाएंगे। यानी, यह शेयर 31 रुपए से 83 रुपए पर पहुंच सकता है। लेकिन एनटीएनएल का जो डायनासोर जैसा ढांचा है, उसमें ये दोनों ही काम सामान्य हालात में असंभव लगते हैं। कल सरकार ने नई दूरसंचार नीति घोषित की है, जिसमें एमटीएनएल व बीएसएनएल पर भारी जिम्मेदारियां डाली गई हैं। हो सकता है कि नई नीति की आड़ में एमटीएनएल को खरीदने की सिफारिश की जाए। ट्रेडर इस मौके का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन हमारा सुझाव है कि जब तक कोई चमत्कार न हो जाए, तब तक निवेशकों को एमटीएनएल से दूर ही रहना चाहिए। हां, बहुत दूर की सोचनेवालों की बात अलग है।

1 Comment

  1. अनिल जी आपकी इस निष्काम सेवा अर्थकाम का लाभ हम सभी ले रहे हैं। पता नहीं लोग कैसे किसी पर भरोसा करके शेयर खरीद लेते हैं जबकि दूसरे के कहने पर किसी नई दुकान से या अपरिचित दुकान से मिठाई तक नहीं खरीदते हैं।

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