मुथूत फाइनेंस ने कर ही डाला कबाड़ा

मुथूत फाइनेंस ने अपने 1.95 लाख से ज्यादा शेयधारकों को लिस्टिंग के पहले ही दिन रुला डाला। 175 रुपए पर जारी हुआ उसका शेयर सुबह 180 रुपए पर लिस्ट होने के थोड़ी देर बाद करीब 13 फीसदी बढ़कर 198 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन बाद में फटाफट गिरकर 161.50 रुपए तक चला गया। दिन भर गहमागहमी रही। बीएसई में इसके 2,26,76,312 शेयरों और एनएसई में 6,06,13,615 शेयरों में कारोबार हुआ। बीएसई में पता नहीं कि इसमें से कितने शेयर डिलीवरी के लिए थे। लेकिन एनएसई में डिलीवरी वाले सौदे मात्र 26.05 फीसदी रहे।

हालांकि बीएसई में इसका आखिरी भाव 176.25 और एनएसई में 175.90 रुपए रहा है। लेकिन जिन एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों ने 20 दिनों के लिए 12 से 18 फीसदी ब्याज पर पैसे उठाकर निवेश किए थे, वे खून के आंसू रो रहे होंगे क्योंकि 210 से 225 रुपए पर शेयर के जाने से ही वे अपनी लागत निकाल सकते थे। खबरों के मुताबिक मुथूत फाइनेंस के आईपीओ में ऐसे तमाम एचएनआई निवेशकों ने उधार लेकर कई करोड़ रुपए तक लगाए थे।

यह भी नोट करने की बात है कि कंपनी के कुल जारी शेयरों की संख्या 37,17,12,768 है। इसका 80.12 फीसदी हिस्सा यानी 29,77,97,872 शेयर प्रवर्तकों के पास हैं। इस तरह उसका फ्लोटिंग स्टॉक बचता है 7,39,14,896 शेयरों का, जबकि बीएसई व एनएसई में पहले ही दिन इससे ज्यादा 8,32,89,927 शेयरों में ट्रेडिंग हो गई। जाहिर है इसमें जमकर डे-ट्रेडिंग हुई है। फिर भी बहुत सारे निवेशक होंगे जिन्होंने इसके शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाने की कोशिश की होगी। जब वे ऐसा न कर पाए होंगे तो उन्हीं कितनी हताशा व तकलीफ हुई होगी, इसकी कल्पना आप आसानी से कर सकते हैं।

बता दें कि कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 1,97,292 है। इसमें से 1,95,732 निवेशक ऐसे हैं जिनके निवेश का मूल्य एक लाख रुपए से कम है। इतने सारे निवेशकों में हो सकता है कि 60 फीसदी प्रवर्तकों के बेनामी निवेशक हों। लेकिन बाकी लगभग 80,000 आम निवेशक भी काफी मायने रखते हैं। मुथूत फाइनेंस का आईपीओ 18 अप्रैल को खुला था। शुरू में उसे काफी कमजोर रिस्पांस मिला। लेकिन 21 अप्रैल को बंद होने तक वह करीब 25 गुना सब्सक्राइब हो गया। कंपनी ने इस इश्यू के 900 करोड़ रुपए से ज्यादा जुटाए थे।

हालांकि हमने इश्यू खुलने के दो दिन पहले ही मुथूत फाइनेंस के बारे में आगाह किया था कि इसके आईपीओ में निवेश करना घातक होगा। लेकिन आम निवेशकों की लालच और प्रवर्तकों की जोड़तोड़ का कोई जवाब नही हैं। फिर हम जैसी साफगोई बरतनेवाले लोगों की पहुंच भी कम है। निवेशकों की इसी अज्ञानता और सच की कमजोर पहुंच का फायदा उठाकर मुथूत फाइनेंस जैसी कंपनियां अपना साम्राज्य खड़ा करती हैं। लेकिन इस सिलसिले को किसी न किसी दिन तो रोकना ही होगा!

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