सरकार बोली, विनिवेश नहीं तो कुछ और सही

केंद्र सरकार 40,000 करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी कंपनियों के पब्लिक इश्यू के अलावा दूसरे रास्तों पर भी विचार कर सकती है। यह कहना है वित्त मंत्रालय से संबद्ध आर्थिक मामलात विभाग के सचिव आर गोपालन का।

उन्होंने राजधानी दिल्ली में बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिन सरकारी कंपनियों के पास अच्छा कैश है, उन्हें दूसरी सरकारी कंपनियों में सरकार का हिस्सा खरीदने के लिए कहा जा सकता है। गोपालन के मुताबिक विनिवेश का लक्ष्य पाने की सरकार को पूरी उम्मीद है। हालांकि बढ़ता राजकोषीय घाटा सरकार के लिए बड़ी चिंता है।

बढ़ते राजकोषीय घाटे के मुद्दे पर आर गोपालन का कहना है कि खर्चों का घटना-बढ़ना कोई नई बात नहीं है। लेकिन इसे जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 4.6 फीसदी तक सीमित रखने के बजट लक्ष्य को हासिल करने की पूरी कोशिश होगी।

बता दें कि सरकार चालू वित्त वर्ष में अभी तक पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) का एफपीओ लाकर महज 1100 करोड़ रुपए जुटा सकी है, जबकि मार्च 2012 तक विनिवेश से 40,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकट और ऊंची मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरों सहित कई घरेलू कारकों की वजह से पिछले कुछ महीनों से शेयर बाजार में गिरावट का रुख बना हुआ है।

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