कृषि ने हर संकट में देश को बचाया है। कोरोनाकाल में जब अर्थव्यवस्था बढ़ने के बजाय 6.6% घट गई थी, तब कृषि ने अपनी 3.3% विकास दर से जीडीपी को ज्यादा डूबने से बचा लिया था। लेकिन पिछले छह सालों में हमारी कृषि की विकास दर कभी भी 5% से ऊपर नहीं गई। खुद सरकारी आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2018-19 में यह 2.4%, वित्त वर्ष 2019-20 में 4%, कोरोनाकाल में वित्त वर्ष 2020-21 में 3.3%, वित्त वर्ष 2021-22 में 3%, वित्त वर्ष 2022-23 में 4.7% और ठीक पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में 1.4% रही है। जब देश का जीडीपी 8.2% बढ़ा, तब दो-तिहाई आबादी का बोझ उठा रही कृषि की विकास दर सबसे कम 1.4% रही है। इसके कारणों का पता लगाने के बजाय सरकार ने कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में झूठ बोला कि हमारे कृषि क्षेत्र की विकास दर पिछले छह सालों में औसतन 5% सालाना से ज्यादा रही है, जबकि असल औसत विकास दर 3.13% सालाना रही है। वैद्य व डॉक्टर के आगे झूठ बोलोगे तो वो आपकी बीमारी का निदान और इलाज कैसे कर सकता है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो झूठ बोलने की अपनी आदत या कहें तो बीमारी से मजबूर हैं। लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि उनकी यह आदत रिस-रिसकर हमारे सरकारी तंत्र में भी पैठ गई है। फिर, यह सरकार किसी राष्ट्रीय समस्या का सार्थक समाधान कैसे निकाल सकती है? अब मंगलवार की दृष्टि…
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