ऐसा नहीं कि सरकार सैन्य बलों पर कम खर्च करती है। खुद उसने गिनाया है कि देश का डिफेंस बजट 2013-14 में ₹2,53,345.89 करोड़ हुआ करता था। इसे उसने 2024-25 में ₹6,21,940.85 करोड़ पर पहुंचा दिया। हिसाब लगाएं तो 2013-14 में देश का कुल बजट ₹14,30,825 करोड़ का था। मनमोहन सरकार ने इसका 17.71% हिस्सा डिफेंस पर खर्च किया था। वहीं 2024-25 में कुल बजट ₹48,20,512 करोड़ का था, जिसका 12.90% मोदी सरकार ने डिफेंस पर खर्च किया। फर्क बड़ा साफ है। कहने को डिफेंस पर खर्च 11 साल में 2.45 गुना हो गया। लेकिन मेक-इन इंडिया कार्यक्रम के बावजूद मोदी सरकार ने डिफेंस पर खर्च दरअसल घटा दिया है। यही ऑप्टिक्स इस सरकार का यूएसपी है। दिखाना बहुत-बहुत ज्यादा, करना बहुत-बहुत कम। आखिर सरकार का बढ़ा हुआ खर्च जाता कहा है? स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) द्वारा संकलित डेटा के अनुसार सैन्य खर्च में भारत दुनिया में अमेरिका, चीन व रूस के बाद चौथे नंबर पर है। लेकिन सरकारी खर्च में सैन्य खर्च का हिस्सा देखें तो वो 8.26% के साथ दुनिया में 34वें स्थान पर है। मतलब साफ है कि भारत सरकार का 91.74% खर्च अपने ऊपर होता है। इसमें यकीनन सांसदों से लेकर गरीबों तक को दी जा रही सब्सिडी शामिल होगी। साथ में प्रधानमंत्री के निजी विमानों और विदेशी दौरों का खर्च भी। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...