रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि; जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि। जीवन में छोटी-छोटी चीजों की बड़ी अहमियत है। हमारी अर्थव्यवस्था में भी लघु उद्योगों का भारी योगदान है। लघु समय के साथ बड़ा हो जाता है। सरकार ने हाल ही में लघु कंपनियों की परिभाषा बदल दी है। उसने तय किया है कि अब 4 करोड़ रुपए तक की चुकता पूंजी वाली कंपनियों को लघु माना जाएगा। इससे पहले 2013 में यह सीमा 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए की गई थी। शेयर बाज़ार में तो छोटी कंपनियां रिटर्न के लिए शानदार मानी जाती हैं। इसमें भी स्मॉल-कैप से ज्यादा उछाल माइक्रो-कैप कंपनियों में देखा जाता है। माइक्रो-कैप कंपनियां उन्हें कहा जाता है जिनका बाज़ार पूंजीकरण 500 करोड़ रुपए से 3000 करोड़ रुपए तक होता है। आज तथास्तु में एक माइक्रो-कैप कंपनी…
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