मई में और बढ़ी मुद्रास्फीति, बढ़ी ब्याज बढ़ाने पर रिजर्व बैंक की उहापोह भी

उद्योग को परेशान करनेवाली मुद्रास्फीति की दर मई महीने में फिर दहाई अंक में पहुंच गई है। केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मई 2010 में 10.16 फीसदी रही है। यह अनंतिम अनुमान है और अंतिम अनुमान इससे ज्यादा हो सकता है। मार्च में मुद्रास्फीति का अनंतिम अनुमान 9.90 फीसदी का, लेकिन अंतिम आंकड़ा 11.04 फीसदी निकला है। अगले माह जुलाई में अप्रैल में रही मुद्रास्फीति के अंतिम आंकड़े आएंगे, जिसका अनंतिम अनुमान 9.59 फीसदी का रहा है। बता दें कि सरकार पहले मुद्रास्फीति से साप्ताहिक आंकड़े जारी करती थी। लेकिन नवंबर 2009 से वह इन्हें महीने के महीने जारी करती है। हालांकि खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति के आंकड़े अब भी साप्ताहिक स्तर पर अलग से जारी किए जाते हैं।

मुद्रास्फीति का यूं बढ़ना रिजर्व बैंक की उहापोह को बढ़ाने का कारण बन गया है। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि 27 जुलाई को मौद्रिक नीति की पहली तिमाही से पहले ही वह ब्याज दरों (रेपो व रिवर्स रेपो दरों) में वृद्धि की घोषणा कर सकता है। लेकिन दूसरी तरफ सिस्टम में तरलता जिस तरह सूख रही है, बैंक हर दिन रेपो में रिजर्व बैंक से 40-50 हजार करोड़ रुपए ले रहे हैं, उसे देखते हुए काफी मुश्किल है कि रेपो व रिवर्स रेपो दरों से हाल-फिलहाल कोई छेड़छाड़ की जाए। ऊपर से यूरोप का ऋण संकट भी अभी नहीं सुलझा है। इसलिए ज्यादा संभावना इसी बात की है कि रिजर्व बैंक ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे आर्थिक विकास में बाधा आ सके।

मई में मुद्रास्फीति के 10.16 फीसदी पर पहुंचने में खास योगदान लोहा व इस्पात, कॉटन टेक्सटाइल, चीनी, पेट्रोल, डीजल, फाइबर, दालों और खाद्य पदार्थों का रहा है। बता दें कि पिछले साल मई में मुद्रास्फीति की दर केवल 1.38 फीसदी थी। उस मई से इस मई के बीच थोक मूल्य सूचकांक के हिसाब से लोहा व इस्पात 19.98 फीसदी, कॉटन टेक्सटाइल 20.68 फीसदी, चीनी 25.54 फीसदी, पेट्रोल 18.06 फीसदी, डीजल 15.81 फीसदी, फाइबर 16.11 फीसदी, दालें 32.40 फीसदी और खाद्य पदार्थ 16.49 फीसदी महंगे हुए हैं।

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