कभी-कभी शेयर बाजार से आ रही खबरों को देखकर लगता है कि यहां चालबाजों और संस्थाओं का ही खेल चलता है। चालबाज भावों के साथ खेलते हैं और देशी-विदेशी संस्थाओं का अपना जोड़तोड़ है। लेकिन यही पूरा सच नहीं है। शेयर बाजार में वाजिब निवेशक भी है और उनकी खरीद भी समझदारी भरी होती है। ऐसे निवेशक इस समय बॉटम फिशिंग या तलहटी पर पहुंचे मजबूत शेयरों को खरीदने में जुट गए हैं। इसका छोटा-सा अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनी मार्ग लिमिटेड का शेयर कल सोमवार को बीएसई (कोड – 530543) में 9.98 फीसदी बढ़कर 138.25 रुपए और एनएसई (कोड – MARG) में 10.02 फीसदी बढ़कर 138.40 रुपए पर पहुंच गया। वो भी ठीकठाक वोल्यूम के साथ। बीएसई में इसके 1.85 लाख शेयरों का कारोबार हुआ जिसमें से 54.3 फीसदी शेयर डिलीवरी के लिए थे, जबकि एनएसई में ट्रेड हुए 1.91 लाख शेयरों में से 66.61 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।
मार्ग लिमिटेड में इस तरह खरीद का होना वाजिब और लाजिमी है। कारण, बीते हफ्ते शुक्रवार को इसने 103.05 रुपए पर 52 हफ्ते की तलहटी बनाई है। हालांकि बंद हुआ था 127.70 रुपए पर। कोई भी समझदार निवेशक जरा-सी मेहनत से जान सकता है कि इस कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 22.16 रुपए है और कल की लगभग दस फीसदी बढ़त के बावजूद उसका शेयर केवल 6.24 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। दूसरा मजबूत आधार यह है कि इस शेयर की बुक वैल्यू 169.64 रुपए है। सवाल उठता है कि जिसकी बुक वैल्यू ही शेयर के भाव से लगभग 30 रुपए ज्यादा हो, उसमें कौन नहीं निवेश करना चाहेगा। इसलिए आज भी इस शेयर में अच्छी-खासी बढ़त के आसार हैं।
खैर, हमारा सुझाव तो है कि इसे कम से कम साल-दो साल के लिए लेना चाहिए। यह शेयर इसी साल 8 सितंबर को 243.80 रुपए की ऊंचाई छू चुका है। मार्ग लिमिटेड 1994 में बनी दक्षिण भारत की कंपनी है। चेन्नई इसका मुख्यालय है। जीआरके रेड्डी इसके प्रवर्तक व चेयरमैन हैं। कंपनी पोर्ट, शिपयार्ड रिपेयर, ड्रेजिंग, मरीन लॉजिस्टिक्स, स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन, बिजली व मल्टी-लेवल पार्किंग जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी काम करती है। साथ ही रीयल एस्टेट के धंधे में मॉल, सर्विस अपार्टमेंट, होटल, विला, रो हाउस और आम आदमी की जेब के माफिक घर भी बनाती है। वह ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट, कंस्ट्रक्शन) का काम भी करती है। किसी दूसरे के लिए पोजेक्ट तैयार करती है। उसके बिजनेस मॉडल की खासियत यह है कि वह परियोजना से प्रभावित लोगों को विकास की प्रक्रिया में भागीदार बना लेती है।
कंपनी ने सितंबर 2010 की तिमाही में 231.46 करोड़ रुपए की आय पर 13.41 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले की इसी अवधि में उसकी आय 205.82 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 20.07 करोड़ रुपए था। शुद्ध लाभ में कमी की वजह कुछ नई परियोजनाओं को हाथ में लेने से बढ़ा खर्च है। बीते वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी ने 745.38 करोड़ रुपए की आय पर 80.37 करोड़ का शुद्ध लाभ हासिल किया है। गिनाना नहीं है, लेकिन कंपनी के पास इस समय बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं जिनकी जानकारी कंपनी या स्टॉक एक्सचेंजों की वेबसाइट पर जाकर पाई जा सकती है।
कंपनी की कुल इक्विटी 32.93 करोड़ रुपए है। इसका 42.82 फीसदी प्रवर्तकों के पास, 19.24 फीसदी एफआईआई के पास और 7.83 फीसदी घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) के पास है। कंपनी ने इसी साल अप्रैल में अपने 56,31,648 शेयरों का क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन प्लेसमेंट) किया था जिसमें प्रति शेयर मूल्य 189.88 रुपए रखा गया था। इसी के बाद उसकी इक्विटी 32.93 करोड़ रुपए हुई है, नहीं तो मार्च 2010 तक यह 27.21 करोड़ रुपए ही थी। क्यूआईपी के मूल्य को देखते हुए भी 138.25 रुपए के मौजूदा भाव पर इसमें निवेश करना आकर्षक लग रहा है।
अंत में एक छोटी-सी सूचना कि राकेश झुनझुनवाला इस समय प्राज इंडस्ट्रीज में खरीद कर रहे हैं। यूं तो कल यह शेयर मामूली बढ़त के साथ 69.15 रुपए पर बंद हुआ है। लेकिन हो सकता है कि इसमें आज कुछ ज्यादा हरकत हो जाए। लेकिन इसे सिर्फ देखना चाहिए, खरीदना नहीं क्योंकि यह 18.67 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है और इसकी बुक वैल्यू 29.85 रुपए ही है। इस पर बड़ों को दांव लगाने दीजिए। हम सभी तो अभी बच्चे हैं, बहुत कच्चे हैं। हां, बीते हफ्ते शुक्रवार को तलहटी पर पहुंचे दो और अच्छे स्टॉक हैं फर्स्टसोर्स और बिड़ला कॉर्प। इन्हें भी देखिए, समझिए। इनकी चर्चा करेंगे आगे।