बीएसई का सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी-50 सूचकांक 27 सितंबर 2024 के ऐतिहासिक शिखर से अब तक 15% से ज्यादा गिर चुके हैं। शेयर बाज़ार के इस तरह धड़ाम होने की एकमात्र वजह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का पलायन। वे हमारे शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट ने 27 सितंबर 2024 से कल तक हमारे शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट से ₹2.36 लाख करोड़ निकाल चुके हैं। आखिर दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के शेयर बाजार में विदेशी निवेशक सबसे तेज़ गति से क्यों भागे जा रहे हैं? जब घटते-घटते सेंसेक्स 20.35 और निफ्टी 19.66 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड होने लगा है, तब तो उन्हें रुककर खरीदना शुरू कर देना चाहिए था क्योंकि भारतीय बाज़ार अब सस्ता हो गया है! फिर भी वे भागे जा रहे हैं। इसकी दो ही खास वजहें हो सकती हैं। एक तो यह है कि उन्हें भारत सरकार के आर्थिक विकास के आंकड़ों पर कोई भरोसा नहीं रहा। दूसरा यह कि वे बहुत साफ देख रहे हैं कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र अब भी मरा पड़ा है और मरता ही जा रहा है। जो मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पिछले साल 12.3% बढ़ा था, उसकी विकास दर इस साल घटकर मात्र 4.3% पर आ गई है। आगे भी उसके उठने के आसार कहीं से नहीं दिख रहे हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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