भारत विकसित देश तब तक नहीं बन सकता, जब तक वो विश्व व्यापार में अपने झंडे नहीं गाड़ देता। इस समय करीब ग्यारह साल से मोदीराज के खांसने-खंखारने के बावजूद भारत की स्थिति बड़ी दयनीय बनी हुई है। 2013-14 में विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा लगभग 2.2% था, जबकि 2023-24 में बहुत खींच-खांचकर 2.6% के करीब पहुंचा है। इस अवधि में भारत की व्यापार हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन यह वृद्धि चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में धीमी रही है। कल खत्म हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार द्वारा जारी अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जनवरी तक हमारा निर्यात 1.34% बढ़ा है, जबकि इसी दौरान हमारा आयात 8.11% बढ़ा है। नतीजतन, हमारा व्यापार घाटा बढ़कर 247.02 अरब डॉलर हो गया। पूरे साल का व्यापार घाटा इससे बदतर ही होने जा रहा है क्योंकि हर तरफ सुस्ती या मंदी छाई है। आगे की राह तो और भी कठिन है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोप, कनाडा, मेक्सिको, चीन व भारत समेत दुनिया के तमाम देशों पर 2 अप्रैल से जवाबी टैरिफ या कस्टम ड्यूटी लगाने का ऐलान कर रखा है। मोदी सरकार का भौगोलिक राष्ट्रवाद जून 2020 में चीन की घुसपैठ के बाद फिसड्डी साबित हो चुका है। फिलहाल उसके आर्थिक राष्ट्रवाद की अग्निपरीक्षा की घड़ी है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...