दावा कुछ और, ज़मीनी सच्चाई कुछ और। आंकड़ों की रंग-बिरंगी चादर लहराकर बदरंग हकीकत को ढंका जा रहा है। सवाल उठा कि 2023-24 में हमारा जीडीपी सचमुच 8.2% बढ़ा है तो रोज़ी-रोज़गार क्यों नहीं बढ़ा? रिजर्व बैंक ने फौरन रिपोर्ट निकाल दी कि बीते साल रोज़गार में 4.67 करोड़ का रिकॉर्ड इज़ाफा हुआ है। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए कह रही हैं कि 2014 से 2023 के दौरान देश में 12.5 करोड़ नए रोज़गार पैदा हुए हैं, जबकि यूपीए सरकार के दस साल में केवल 2.9 करोड़ रोज़गार बढ़े थे। मतलब, वित्त मंत्री की मानें तो मोदी सरकार ने देश में रोज़गार की समस्या हल कर दी है और अब बेरोज़गारी कोई समस्या ही नहीं है। उनका दावा है कि 15 से 29 साल के युवाओं में बेरोज़गारी की दर 2017-18 के 17.8% से तेज़ी से घटकर 10% पर आ चुकी है। परोक्ष रूप से वो कह रही हैं कि मुठ्ठी भर नौकरियों पर टूट पड़ते लाखों नौजवान झूठ बोल रहे हैं। अंधेर नगरी, चौपट राजा का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है! हर तरफ बेरोज़गारी का कोहराम है, लेकिन राजा को देश में चारों तरफ विकास की बयार में बजती बांसुरी सुनाई दे रही है। आप कहेंगे कि फिर शेयर बाज़ार क्यों चढ़ता जा रहा है? इसकी तह में पैठने के लिए हमें देखना पड़ेगा कि कौन क्यों बढ़ा और कौन क्यों दबा पड़ा है? अब शुक्रवार का अभ्यास…
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