जिस देश की 68% या दो-तिहाई आबादी 15 से 64 साल, एक चौथाई या 25% आबादी 14 साल तक के बच्चों की हो और महज 7% आबादी 65 साल से ऊपर के बूढ़ों की है, वह बेहद भाग्यशाली है। बच्चे तो परिवार के साथ पल जाते हैं, जबकि बूढ़ों को कामकाज़ी लोगों द्वारा पालना होता है। भारत सरकार ने सामाजिक सुरक्षा से पल्ला झाड़ रखा है या बीमा कंपनियों के मत्थे मढ़कर बाज़ार के हवाले कर दिया है। ऐसे में काम करने में अक्षम हो चुके 7% मां-बाप व बूढ़ों की देखभाल का जिम्मा 15 से 64 साल की काम करने योग्य 68% आबादी पर आ जाता है। इतनी विशाल श्रमशक्ति आज दुनिया में किसी देश के पास नहीं है। इसे अच्छी शिक्षा मिले, बच्चों से लेकर बड़ों तक के स्वास्थ्य की सही हिफाजत हो और युवाओं व महिलाओं के कौशल विकास को तवज्जो दी जाए तो भारत आसानी से दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्था बन सकता है। अब बुधवार की बुद्धि…
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