मोदी सरकार नए भारत की आकांक्षाओं को अतीत की अंधेरी गलियों की भूल-भुलैया में भटकाने में लगी है। भारत अभी दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बना नहीं है। फिर भी वो ऐसा हो जाने का गला फाड़ रही है। उसने विकसित भारत@2047 को ‘अच्छे दिन’ का नया वर्जन बना दिया है। आखिर वो भारत की आंतरिक शक्ति पर फोकस क्यों नहीं कर रही? गांवों से लेकर शहरों तक लोगों की आय कैसे बढ़े, सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार का तिनका तक न बचे, शिक्षा व स्वास्थ्य की सर्वोत्तम व्यवस्था हर राज्य में हो, देश का कच्चा माल बाहर न जाए, बल्कि उससे तैयार माल औद्योगिक विकास में लगे, हमारी प्रतिभाओं को देश के भीतर ही पूरा खिलने का मौका मिले, आम लोगों की बचत वित्तीय जगत के लुटेरों का शिकार न बने, घरेलू बचत इतनी हो जाए कि विदेशी धन की ज़रूरत ही न पड़े और हमारा चालू खाता घाटे के बजाय सरप्लस में आ जाए। नीयत हो तो यह सब कुछ काफी आसानी से किया जा सकता है। इस सरकार ने दिखाने को 11 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर खूब काम किया। पोर्ट, एयरपोर्ट और राज्यों को आपस में जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग। देश समूचे विश्व से जुड़ता चला गया। लेकिन अभी तक कानपुर से कोयम्बटूर तक सीधी सड़क, ट्रेन या फ्लाइट क्यों नहीं? देश मांगता है साफ-साफ जवाब! अब शुक्रवार का अभ्यास…
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