मुद्रास्फीति की दर जनवरी में उम्मीद से कुछ ज्यादा ही घटकर 6.55 फीसदी पर आ गई है। यह थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति का नवंबर 2009 के बाद का सबसे निचला स्तर है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक विकास दर के त्वरित अनुमान के घटकर 6.9 फीसदी रह जाने और मुद्रास्फीति के काफी हद तक काबू में आ जाने के बाद रिजर्व बैंक पर इस बार का दबाव बढ़ जाएगा कि वह ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला अब शुरू कर दे।
दो सालों से महंगाई को थामने की जद्दोजहद में लगी सरकार को भी इन आंकड़ों ने बड़ी राहत दी है। वैसे, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी इन आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में शायद विनम्रतावश ही कहा, “मुद्रास्फीति की दर अब भी अस्वीकार्य रूप से ऊंची बनी हुई है। लेकिन आशा है कि यह नीचे जाएगी।” प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन व रिजर्व बैंक के गवर्नर सी रंगराजन का मानना है कि अगले कई महीनों तक मुद्रास्फीति जनवरी की 6.55 फीसदी की दर के आसपास बनी रहेगी। उनका कहना था कि इसके काबू में आ जाने के बाद सरकार डीजल के मूल्यों की समीक्षा कर सकती है। वैसे, डीजल के दाम जनवरी 2012 में साल भर पहले की अपेक्षा 9.24 फीसदी ऊंचे रहे हैं।
फिलहाल 6.55 फीसदी की दर रिजर्व बैंक द्वारा मार्च 2012 के अंत के लिए अनुमानित 7 फीसदी से भी कम है। रिजर्व बैंक के लिए यह भी सुकून की बात है कि मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की मुद्रास्फीति घटकर 6.49 फीसदी पर आ गई है। दिसंबर माह में सकल मुद्रास्फीति की दर 7.47 फीसदी और मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की मुद्रास्फीति 7.41 फीसदी रही थी। इस बीच नवंबर 2011 के लिए मुद्रास्फीति का अंतिम आंकड़ा 9.46 फीसदी का रहा है, जबकि इसका अनंतिम और अब तक घोषित आंकड़ा 9.11 फीसदी का था।
आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज से जुड़े अर्थशास्त्री ए प्रसन्ना का कहना है, “मैन्यूफैक्चरिंग और मूल मुद्रास्फीति में अपेक्षा से ज्यादा कमी आई है। मार्च तक इसे और घटकर 6.25-6.50 फीसदी पर आ जाना चाहिए। इसने अप्रैल के बजाय मार्च में ही ब्याज दरों में चौथाई फीसदी कमी की उम्मीद बढ़ा दी है।” गौरतलब है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की अगली मध्य-तिमाही समीक्षा 15 मार्च को पेश करेगा, जबकि नए वित्त वर्ष 2012-13 की सालाना मौद्रिक नीति मंगलवार, 17 अप्रैल 2011 को घोषित की जाएगी। इस समय नीतिगत ब्याज दर (रेपो दर) 8.5 फीसदी है। उम्मीद है कि इसे घटाकर 8 फीसदी पर ले आया जाएगा।
जानकारों का कहना है कि सरकार पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की समाप्ति के बाद पेट्रोलियम सब्सिडी पर विचार कर सकती है और हो सकता है कि डीजल के दाम बढ़ा दिए जाएं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन रंगराजन इस बात का साफ संकेत दे ही चुके हैं।