चीन ने सारे अमेरिकी आयात पर 34% शुल्क लगाकर जवाब दे दिया। फिर ट्रम्प ने पलटकर उस पर 50% टैरिफ बढ़ाकर 104% कर डाला। लेकिन जवाबी टैरिफ पर अभी तक भारत का कोई जवाब नहीं आया है। मोदी जी चुप हैं। देश के आम लोग तो औरंगजेब की कब्र के बाद वक्फ की जमीन के कब्जे में उलझे हैं। लेकिन कॉरपोरेट क्षेत्र टैरिफ युद्ध पर सरकार के पस्त रवैये से परेशान है। उसे लगता है कि अमेरिका के मामले में मोदी अब मदद नहीं करने जा रहे। यह भी कि मोदी अपने परम मित्र ट्रम्प के हमले से अपने यार अडाणी के अलावा और किसी को नहीं बचाएंगे, अंबानी तक को नहीं। अंबानी की रूस से प्रतिदिन 5 लाख बैरल तेल की डील फंस गई है। वेनेज़ुएला से अंबानी को आनेवाले तेल पर भी ट्रम्प ने रोक लगा दी है। ऑटोमोबाइल उद्योग पहले ही सरकार से मदद की आस खो चुका है। शोध व विचार सस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत से अमेरिका को होनेवाले डेयरी उत्पादों के निर्यात पर दरअसल 26-27% नहीं, बल्कि 38.23% टैरिफ लगेगा। इससे हमारा घी, मक्खन व मिल्क पाउडर वहां महंगा हो जाएगा। एल्कोहल, वाइन व स्पिरिट्स पर टैरिफ का अंतर 122.10% हो जाएगा। हमारे तम्बाकू व सिगरेट पर तो अमेरिका पहले से 201.15% टैरिफ लगाता है। फिर हमारे बड़े टेक्सटाइल निर्यात पर क्या असर पड़ने जा रहा है? अब बुधवार की बुद्धि…
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