भारत जापान से मंगाए डीजल इंजिन और गियर बॉक्स पर आयात शुल्क की दरों में भारी कटौती करेगा। ऐसा दोनों देशों के बीच हुए नए समझौते के तहत किया जाएगा। भारत और जापान के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी का नया समझौता (सीईपीए) सोमवार, 1 अगस्त 2011 से ही लागू हुआ है। समझौते के अनुसार जापान से आयातित डीजल इंजिन पर शुल्क को अगले छह साल में मौजूदा 12.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया जाएगा, वहीं अगले आठ साल में गियर बॉक्स पर शुल्क को मौजूदा 12.5 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी पर ले आया जाएगा।
इसके अलावा, कार मफलर्स पर शुल्क को अगले 10 साल में शून्य स्तर पर लाया जाएगा जो फिलहाल 10 फीसदी है। दोनों देशों ने इस साल फरवरी में इस समझौते पर दस्तखत किए थे। इसके तहत एशिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अगले 10 साल में व्यापार की जाने वाली 94 फीसदी वस्तुओं पर शुल्क समाप्त कर देंगी।
राजधानी दिल्ली में भारत-जापान संयुक्त समिति की पहली बैठक को संबोधित करते हुए वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा है कि भारत और जापान के बीच सीईपीए पूर्वी एशियाई भागीदारी के बड़े स्वप्न की दिशा में एक बड़ा कदम है। सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के साथ हुए समझौतों के बाद किसी विकसित देश के साथ हुआ यह तीसरा व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता है। यह भारत द्वारा अब तक किए गए सभी समझौतों में सर्वाधिक व्यापक समझौता है क्योंकि इसमे 90 फीसदी से अधिक व्यापार का प्रावधान है।
समझौते में वस्तु व सेवा के व्यापार के अलावा प्रोफेशनलों के आवागमन, सीमा शुल्क प्रक्रिया और अन्य क्षेत्रों में सहयोग शामिल हैं। समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार को गति मिलने की उम्मीद है। इसके साल 2014 तक 25 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है जो फिलहाल 12.6 अरब डॉलर है।