घबराहट में गिरा बाजार तो लोक लेंगे

स्तरीय स्टॉक्स का ग्रेड गिराने का दौर बीत रहा है और रेटिंग उठाने का दौर शुरू हो रहा है। एक प्रमुख एफआईआई ब्रोकिंग हाउस ने इनफोसिस को अपने आदर्श पोर्टफोलियो में शामिल किया है। कृपया याद करें कि हमने इनफोसिस में 3300 रुपए पर बेचने और 2200 पर खरीदने की कॉल दी थी। टॉप पर बेचने और बॉटम पर खरीदने की यह सलाह दर्शाती है कि हमें भारतीय बाजार से पैसा बनाने के लिए फिरंगियों से उल्टा चलना चाहिए। इस रणनीति में तकलीफ तो हमेशा होगी क्योंकि उनके पास किसी स्टॉक को बेचकर अवांछित स्तरों तक गिराने का भरपूर धनबल है। लेकिन हम भारतीयों के पास उनकी कमजोरी का फायदा उठाने के लिए भरपूर बुद्धिबल है।

वे टाटा मोटर्स को 135 रुपए तक बेचते रहे। हमने इसे 142 रुपए पर उठा लिया और देखिए कि हम अभी 40 फीसदी फायदे में हैं। यही बात आरआईएल और एडुकॉम्प व डीएलएफ जैसे तमाम दूसरे स्टॉक्स के लिए भी सही है। यह साफ दिखाता है कि बुरे बाजार में भी सही वक्त पर अच्छे स्टॉक्स को चुनना अच्छे रिटर्न दे सकता है। फिर भी आप बहुत से स्टॉक्स में फंस सकते हैं क्योंकि देशी-विदेशी फंड अपनी बिकवाली से उनकी मिट्टी पलीद कर देते हैं। लेकिन अगर आप टिके रहे तो आखिरकार आपकी रणनीति ही कामयाब होती है और घाटा थोड़े-थोड़े फायदे से मिटता जाता है। फिर जब कभी बाजार पूरी तरह सुधर जाता है तो आपका सारा घाटा खत्म होकर फायदे में बदल जाता है।

निफ्टी में आज सुबह के ही कमजोरी का आलम था। दोपहर सवा बजे 5360.25 तक उठने के बाद आखिर में 0.64 फीसदी की गिरावट के साथ 5326.60 पर बंद हुआ है। फिलहाल निफ्टी 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) 5408 के करीब चल रहा है। इसलिए थोड़ी घबराहट लाजिमी है। इसलिए हमें निफ्टी के फिर से गिरकर 5200 तक चले जाने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहां से हम इसे फिर से लांग सौदों के लिए उठाएंगे। तब तक आप बीपीसीएल, एलआईसी हाउसिंग व डिश टीवी जैसे स्टॉक्स में शॉर्ट कर सकते हैं। लेकिन सेंचुरी, टेक्सटाइल्स, बॉम्बे डाईंग, बीईएमएल, टाटा स्टील, हिंडाल्को, डीएलएफ व एस्कोर्ट्स में लांग बने रहें और ट्रेडिंग के वाजिब मौके का इंतजार करें। गुजरात अंबुजा सीमेंट कल अपनी स्थापना के 25वें साल के रजत जयंती समारोह में कुछ खास घोषणा कर सकती है। वैसे, हमेशा ध्यान रखें कि बाजार के नियम को तोड़ने की कोई भी कोशिश आपका नुकसान करा सकती है।

जहां तक ब्रोकिंग समुदाय का वास्ता है तो वहां गरमागरम बहसें छिड़ी हुई हैं। लेकिन मेरी साफ राय है कि ब्रोकर खुद ही अपने भविष्य का गला घोंट रहे हैं। अल्गोरिदम ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग व आईपीओ के वोल्यूम का धंधा तात्कालिक तौर पर मददगार हो सकता है। लेकिन लंबे समय में उन पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला जाएगा। इसलिए आपको स्थाई समाधान निकालने की जरूरत है। यह समाधान है कि बी ग्रुप के शेयरों में वोल्यूम बढ़ाया जाए और ऐसा एक्सचेंजों की मदद के बिना हो नहीं सकता। इसलिए मुझे लगता है कि उद्योग को काफी दबाव से गुजरना पड़ सकता है। यह इस धंधे में लगे लोगों के काफी भारी पड़ेगा और उद्योग में कभी विकट हालात भी बन सकते हैं।

पहली चीज जो ब्रोकरों को करनी चाहिए, वो यह कि स्टॉक्स की सभी श्रेणियों के सभी ऑर्डरों को लेने से बचें। हालांकि एक्सचेंज में ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है कि अगर वोल्यूम कुल वोल्यूम के 10 फीसदी के ऊपर जा रहा है तो किसी ऑर्डर को रोक दिया जाए। यह जबरदस्ती का थोपा गया नियम है जो बी ग्रुप के वोल्यूम को मार रहा है और चालबाजों को कृत्रिम वोल्यूम व सर्कुलर ट्रेडिंग का मौका दे रहा है। अगर ब्रोकर झुक जाते हैं और इस तथाकथित नीति का पालन करते रहते हैं तब तो वोल्यूम में किसी सुधार की बात ही भूल जाइए। लेकिन याद रखें कि ब्रोकरेज के लिहाज से बी ग्रुप में हुआ 5000 करोड़ रुपए का कारोबार एफ एंड ओ सेगमेंट में हुए एक करोड़ रुपए के कारोबार से बेहतर है। अगर आप इसे समझ जाएं तो अच्छा है। नही तो जो झेल रहे हैं, उसे झेलते रहिए।

विचार की उपयोगिता तभी तक है जब तक वह कर्म की सेवा करता है। जब कर्म के बजाय केवल विचार ही विचार चलने लगता है तब यह व्यवहार में निरर्थक ही नहीं, बाधक भी बन जाता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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