मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ा तो राष्ट्रवाद मजबूत!

पहलगाम के नृशंस आतंकी हमले के बाद देश में राष्ट्रवाद के उन्माद को ऑपरेशन सिंदूर ने चरम पर पहुंचा दिया है। लेकिन राष्ट्रवाद सीमा पर युद्ध लड़कर ही नहीं, सीमा के भीतर रोज़गार जैसी विकट समस्याओं से लड़ने और औद्योगिक विकास को बढ़ाने से भी मजबूत होता है। अगर हम देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ा लें तो चीन को सीमा से लेकर हर स्तर पर तगड़ी चुनौती दे सकते हैं। तब हमें गलवान घाटी में उसकी घुसपैठ पर चुप नहीं बैठना पड़ेगा। इधर, चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा बढ़कर 100 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है। वित्त वर्ष 2024-25 में हमने चीन को 14.25 अरब डॉलर का निर्यात किया तो वहां से 113.45 अरब डॉलर का आयात किया। भारतीय उद्योग आज इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, कार्बनिक रसायनों, प्लास्टिक और आइरन व स्टील में चीन पर निर्भर हो गया है क्योंकि वहां का माल सस्ता है। पीएलआई स्कीम से हमारा मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र मजबूत नहीं, बल्कि चीन पर आश्रित हो गया है। चीन भारत से ज्यादा आयात करने को तैयार है। लेकिन हमारे पास समुद्री खाद्य, कॉटन यार्न, चंद कृषि उत्पादों और खनिज व पेट्रोलियम ईंधन के अलावा खास कुछ निर्यात करने को है नहीं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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