शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग के बिजनेस की लागत है स्टॉप-लॉस। यह छोटे-बड़े हर ट्रेडर को उठानी ही होती है। थोक के भाव का मतलब है उस भाव पर खरीदना जिस पर अभी तक बैंक, संस्थाएं व बड़े निवेशक खरीदते रहे हैं और आगे खरीद सकते हैं। रिटेल के भाव का मतलब है उस भाव पर बेचना जिस पर बैंक, संस्थाएं व बड़े निवेशक अभी तक बेचते रहे हैं या बेच सकते हैं। भावों के इन स्तरों का अंदाज़ा हम उनके दैनिक, साप्ताहिक या अलग-अलग अवधि के चार्ट से लगाते हैं। हर किसी शेयर के चार्ट हमें बिना किसी सब्सक्रिप्शन के फिलहाल बीएसई और एनएसई की वेबसाइट पर मिल जाते हैं। भावों के चार्ट में हमें बस इतना देखना होता है कि इससे ठीक पहले किस निचाई से वो शेयर उठना शुरू होता है (उसका डिमांड ज़ोन) और किस ऊंचाई से गिरना शुरू हुआ (उसका सप्लाई ज़ोन)। साथ ही निचाई और ऊंचाई पर कैंडल का स्वरूप क्या है। नीचे हैमर और ऊपर रिवर्स हैमर। यही है मोटामोटी ज्ञान। बाकी दूसरे इंडीकेटर्स से दिल को तसल्ली देना चाहते हैं तो उसका पैटर्न एनएसई व बीएसई की साइट से बना सकते हैं। गांठ बांध लें कि शेयर बाज़ार में सारे ज्ञान से हम भावों की प्रायिकता या प्रोबैबिलिटी पकड़ते हैं जो गलत भी हो सकती है। मतलब, शेयर ट्रेडिंग में रिस्क कभी भी मिट नहीं सकता। बहुत हुआ तो हम न्यूनतम रिस्क और अधिकतम रिटर्न की सावधानी ही बरत सकते हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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