एचईजी लिमिटेड का शेयर (बीएसई – 509631, एनएसई – HEG) नई से नई तलहटी बनाता जा रहा है। नए साल में 12 जनवरी को वह 233.15 रुपए तक चला गया तो वो उसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर था। कल 18 जनवरी को वह इससे भी नीचे 218.50 तक जाकर नया न्यूनतम स्तर बना गया। हालांकि बंद हुआ है 225.25 रुपए पर। कंपनी में ऐसा क्या हो गया जो उसका स्टॉक इस तरह गोता लगाता जा रहा है? बता दें कि इस शेयर का उच्चतम स्तर 387.80 रुपए का है जो उसने 8 अप्रैल 2010 को हासिल किया था।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 1131.40 करोड़ रुपए की आय पर 171.06 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 41.10 रुपए था। इसके बाद चालू वित्त वर्ष 2010-11 की जून तिमाही में उसकी आय 222.13 करोड़ व शुद्ध लाभ 26.55 करोड़ रुपए रहा। इसके बाद की सितंबर तिमाही में कंपनी ने 299.63 करोड़ रुपए की आय पर 29.74 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है।
हां, इस दौरान उसका परिचालन लाभ मार्जिन जरूर 31.29 फीसदी से घटकर क्रमशः 26.59 व 21.55 फीसदी पर आ गया है। लेकिन उसका ठीक पिछले बारह महीने का ईपीएस 32.97 रुपए बनता है और इस आधार उसका शेयर इस समय मात्र 6.74 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू भी 184.71 रुपए के मजबूत स्तर पर है।
कंपनी की इक्विटी 42.84 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 52.27 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है जिसमें से 24.61 फीसदी भारतीय व 27.66 विदेशी प्रवर्तकों के पास है। कंपनी के 2.67 फीसदी शेयर एफआईआई और 13.89 फीसदी शेयर डीआईआई के पास हैं। ये दिसंबर तिमाही के आंकड़ें और सितंबर से दिसंबर के बीच कंपनी में एफआईआई व डीआईआई ने अपनी थोड़ी-थोड़ी हिस्सेदारी घटाई है। सितंबर में एफआईआई का हिस्सा 2.69 फीसदी और डीआईआई का हिस्सा 14.13 फीसदी था। हो सकता है कि एफआईआई व डीआईआई की बिकवाली से कंपनी के शेयर नीचे गिरे हों। लेकिन सवाल उठता है कि उन्होंने अपने शेयर बेचे ही क्यों?
इसका कारण मुझे तो नहीं पता लग रहा है। शेयर के तलहटी पर पहुंचने की वजह भी नहीं समझ में आ रही है। आप भी पता लगाइए। मुझे तो फंडामेंटल्स के आधार पर यह काफी मजबूत कंपनी लग रही है। शेयरधारकों के प्रति भी इसका रवैया सकारात्मक रहा है। कंपनी 2007 से लेकर अब तक कभी 5 रुपए, कभी 7 रुपए तो कभी 10 रुपए तक लाभांश देती रही है। सितंबर 2010 में उसने दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 10 रुपए यानी 100 फीसदी का लाभांश दिया है। फिर भी यह शेयर मात्र 6.74 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है!!
एचईजी कंपनी है एलएनजे भीलवाड़ा समूह की। इसकी स्थापना 1977 में फ्रांस की कंपनी पैचिनी की सब्सिडियरी एसईआरसी के तकनीकी व वित्तीय सहयोग से की गई थी। यह भारत में ग्रेफाइड इलेक्ट्रोड की अग्रणी निर्माता व निर्यातक है। कंपनी अपना 80 फीसदी उत्पादन दुनिया के 25 से ज्यादा देशों को निर्यात करती है। उसके पास भारत का ही नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड संयंत्र है। इस संयंत्र की सालाना क्षमता 66,000 मीट्रिक टन है। कंपनी बिजली भी बनाती है। उसने तीन बिजली उत्पादन यूनिटों की कुल क्षमता 77 मेगावॉट है। वह कार्बन फैब्रिक, कार्बन ब्लॉक व कार्बन स्पेशियलिटी भी बनाती है।