कोटरों में दाने बीनती दुनिया। व्यक्ति की निजी दुनिया। व्यक्तियों से समाज, समाजों से देश और देशों से बनी दुनिया। हर किसी को मुकम्मल जहां मिल जाता तो इस तरह नहीं बनती दुनिया।
2011-01-19
कोटरों में दाने बीनती दुनिया। व्यक्ति की निजी दुनिया। व्यक्तियों से समाज, समाजों से देश और देशों से बनी दुनिया। हर किसी को मुकम्मल जहां मिल जाता तो इस तरह नहीं बनती दुनिया।
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