भारत अगर 12वीं पंचवर्षीय योजना में सालाना 9 फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल कर लेता है तो यह काफी है। इससे ज्यादा विकास दर हासिल करने का प्रयास अर्थव्यवस्था पर बुरा असर ड़ाल सकता है। यह मानना है प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन व रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन का।
रंगराजन गुरुवार को राजधानी दिल्ली में भारतीय आर्थिक सेवा (आईईएस) के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे। आर्थिक सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति पर गौर करते हुए अगले पांच साल तक 9 फीसदी के आसपास की आर्थिक वृद्धि हासिल करना अर्थव्यवस्था के अनुकूल रहेगा। लेकिन इससे अधिक वृद्धि का बुरा असर सामने आ सकता है।
रंगराजन ने कहा कि आर्थिक वृद्धि महत्वपूर्ण है। लेकिन मुद्रास्फीति को काबू में रखने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक की बनती है। उन्होंने कहा कि इस समय भी मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब बनी हुई है जो चार से पांच फीसदी के सामान्य स्तर से काफी ऊपर है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के कदमों के चाहे ‘साइड इफेक्ट्स’ ही क्यों न हो, मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना होगा। इस दिशा में हालांकि, रिजर्व बैंक को ही स्थिति पर गौर करना है, लेकिन मुद्रास्फीति में गिरावट के पक्के संकेत दिखने के बाद ही बैंक अपनी मौजूदा नीति से वापसी के कदम उठा सकता है।
राज्यसभा के पूर्व सदस्य और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान भी इस मौके पर उपस्थित थे। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।