15,415 करोड़ जमा निष्क्रिय पीएफ खातों में, सरकार कर लेगी गड़प

सरकार ने 15 सितंबर 2010 को तय किया था कि 1 अप्रैल 2011 ने कर्मचारियों के उन भविष्य निधि (ईपीएफ) खातों पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा जिनमें तीन साल से कोई रकम नहीं जमा की गई है। अब वह इन खातों को बंद करने जा रही है। ऐसे निष्क्रिय खातों की संख्या करीब तीन करोड़ है और इनमें 15,415 करोड़ रुपए पड़े हुए हैं। इन्हें बंद करने से जहां उसे यह रकम मुफ्त में मिल जाएगी, वहीं हर साल इनकी संभाल पर खर्च होनेवाले करीब 300 करोड़ रुपए भी बच जाएंगे क्योंकि साल भर में एक खाते के रखरखाव पर कम से कम 100 रुपए तो लगते ही हैं।

खुद केंद्रीय श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना है कि ऐसे निष्क्रिय खातों में कुल 15,415 करोड़ रुपए पड़े हैं। असल में लोग नौकरियां छोड़ देने के बाद भी अपनी रकम ईपीएफ खाते में पड़े रहने देते हैं क्योंकि इस पर एक तो उन्हें 8.5 फीसदी सालाना ब्याज मिलता है जो किसी भी एफडी वगैरह से अधिक है, दूसरे इस पर कोई टैक्स नहीं लगता। साथ ही इनके डूबने का कोई जोखिम नहीं रहता है क्योंकि सरकारी निर्देश के अनुसार यह रकम इक्विटी में नहीं, बल्कि सुरक्षित ऋण प्रपत्रों में ही लगाई जाती है।

मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि जब इन निष्क्रिय खातों पर ब्याज मिलना बंद हो जाएगा तो लोगबाग खुद ही इन्हें निकालकर कहीं और लगाने के प्रति प्रेरित होंगे। सरकार असल में यही चाहती है। इससे सरकार की भी फायदा होगा। मान लीजिए, लोग ईपीएफ की रकम बैंक एफडी में लगाते हैं तो उससे हुई आय पर उन्हें कम से कम 10 फीसदी टीडीएस देना होगा। यह पैसा तो सरकारी खजाने में ही जाएगा जिससे सरकार का कर राजस्व कुछ सौ करोड़ तो बढ़ ही जाएगा।

जो तीन करोड़ ईपीएफ खाते निष्क्रिय पड़े हैं यानी जिनमें कम से कम तीन सालों से कोई रकम नहीं जमा की गई है, उनमें से 1.5 करोड़ खातों में जमाराशि 1000 रुपए से भी कम है। इसमें से भी 33 लाख खाते ऐसे हैं जिनमें 100 रुपए से कम जमा हैं। मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक कम से कम 92 फीसदी ईपीएफ खातों में कुल जमाराशि का 35 फीसदी पड़ा हुआ है। दूसरे शब्दों में बाकी 8 फीसदी खातों में ही 15,415 करोड़ रुपए की 65 फीसदी रकम जमा है।

अधिकारी के मुताबिक ऐसे खाताधारियों का पता लगाकर उन्हें रकम वापस करने का खर्च बकाया रकम से भी ज्यादा बैठेगा। इसलिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड इन खातों को ही बंद करने पर विचार कर रहा है। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त एस बनर्जी का साफ कहना है कि लोगों को रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के बाद अपनी बचत निकाल लेनी चाहिए। दूसरे शब्दों में सरकार निजी क्षेत्र में बार-बार नौकरियां बदलनेवाले लोगों को भविष्य की कोई स्थाई सुरक्षा देने के बजाय अपना झंझट कम करने में लगी है।

साल-दो साल पहले भविष्य निधि संगठन की तरफ से सभी नौकरीपेशा लोगों को सामाजिक सुरक्षा नंबर देने का सिलसिला शुरू किया गया था। तमाम दफ्तरों में कर्मचारियों से अलग फॉर्म भरवाए गए थे इस वादे के साथ कि अब वे जहां भी जाएंगे, उनका पीएफ खाता साथ-साथ जाएगा। लेकिन लगता है कि सरकार ने वो योजना ठंडे बस्ते में डाल दी है और चाहती है कि लोग नौकरी छोड़ने के कुछ समय ही बाद पीएफ खाते से अपनी रकम निकाल लें।

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