बढ़ती मुद्रास्फीति की चिंता और पश्चिम एशिया में राजनीतिक उथलपुथल के बीच वैश्विक निवेशकों ने उभरते बाजारों से साल 2011 में अब तक 21 अरब डॉलर (94,485 करोड़ रुपए) निकाल चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश फंड्स पर नजर रखने वाली कंपनी ईपीएफआर ग्लोबल के आंकड़ों के मुताबिक उभरते बाजारों से निवेशक इस साल अब तक 21 अरब डॉलर निकाल चुके हैं। वर्ष 2008 की तीसरी तिमाही के बाद यह सबसे बड़ी निकासी है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘विश्व के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में राजनीतिक उतार-चढ़ाव के कारण कई निवेशक मुद्रास्फीति, ब्याज दर और आर्थिक वृद्धि को लेकर अपने पूर्व के अनुमान में संशोधन कर रहे हैं।’’ हाल के दिनों में भारत और चीन समेत कई उभरते बाजारों में उच्च मुद्रास्फीति देखने को मिली है। इसके कारण पहले से ही नाजुक आर्थिक स्थिति के पटरी से उतरने का खतरा है।
बहरहाल, ईपीएफआर ने भारत केंद्रित फंड्स से धन निकाले जाने के बारे में आंकड़ा नहीं दिया। सेबी के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने जनवरी-मार्च के दौरान अब तक 2 अरब डॉलर की राशि निकाली है। इससे पहले, 2010 में एफआईआई ने 29 अरब डॉलर का निवेश किया था। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में उच्च मुद्रास्फीति, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमत समेत कई घोटालों के कारण पूंजी निवेश प्रभावित हो रहा है।