पिछले पांच साल में देश का जीडीपी 24.33% बढ़ा है, वो भी मुद्रास्फीति के असर को घटाने के बाद। हमारा जीडीपी वित्त वर्ष 2018-19 में ₹139.81 लाख करोड़ था। सरकार के ताजा अनुमान के मुताबिक 2023-24 में यह ₹173.82 लाख करोड़ रहा है। लेकिन हम सभी जानते हैं कि देश के 81.35 करोड़ लोग (करीब 58% आबादी) अब भी महीने में सरकार के मुफ्त पांच किलो राशन पर गुजारा कर रहे हैं। हाल ही में आए सलाहकार फर्म रेडसीयर के सर्वे से पता चला है कि पिछले पांच सालों में देश के 77% निम्न-आय वाले घरों की आय में घटी है। अगर थोड़ी-बहुत बढ़ी भी, उसे रहने-खाने, इलाज़ और आने-जाने की महंगाई ने सोख लिया। बता दें कि 2019 से 2024 के बीच सरकारी आंकड़ों के मुतबिक रिटेल मुद्रास्फीति की औसत दर 5.82% रही है। रेडसीयर के इस सर्वे में शामिल लोगों की औसत उम्र 42 साल थी। यह सर्वे महानगरों लेकर टियर-1, टियर-2 और शहरों व कस्बों में किया गया। सवाल उठता है कि एक तरह देश का जीडीपी बढ़ रहा है, दूसरी तरफ 77% आबादी की आय क्यों घटती गई है? लोककथा याद आ गई कि हिसाब ज्यों का त्यों, कुनबा डूबा क्यों! देश के लिए यह बड़ी खतरनाक स्थिति है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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