हम देश की छवि के बारे में कुएं के मेढक बन गए हैं। सरकारी प्रचार व मीडिया के प्रशस्तिगान से हमें लगता है कि दुनिया में भारत का गुणगान हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वगुरु बन गए हैं। हकीकत यह है कि दुनिया भारत के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाती जा रही है। हाल ही में प्यू रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट को ज़ोर-शोर से प्रचारित किया गया कि दुनिया के 68% लोग मानने लगे हैं कि भारत मजबूत होता जा रहा है। लेकिन वास्तव में 68% भारतीयों ने ही ऐसा माना है, जबकि जी-20 के अन्य देशों में बमुश्किल एक-तिहाई लोगों का ऐसा मानना है और आधे से ज्यादा लोग मानते हैं कि पिछले कुछ सालों में दुनिया में भारत के प्रभाव पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। असल में दुनिया पर किसी देश का प्रभाव अकेले उसकी सरकार के दम पर नहीं, बल्कि उसके लोगों और नागर समाज की संस्थाओं की सक्रियता से पड़ता है। देश में ऐसी संस्थाओं की हालत पिछले नौ सालों में कितनी पतली हुई है, यह सच अब किसी से छिपा नहीं है। साथ ही यूरोप से लेकर अमेरिका तक कमाने गए अधिकांश भारतीय कतई वापस नहीं लौटना चाहते। अब बुधवार की बुद्धि…
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