सब कुछ देखने के तरीके पर निर्भर करता है। चाहो तो सारी दुनिया दोस्तों से भरी नजर आएगी। पेड़-पालव तक मदद के लिए हाथ बढ़ाते दिखेंगे। और, चाहो तो घर का आदमी भी बैरी दिखेगा। इसमें से चुनना आपको ही है।
2010-10-18
सब कुछ देखने के तरीके पर निर्भर करता है। चाहो तो सारी दुनिया दोस्तों से भरी नजर आएगी। पेड़-पालव तक मदद के लिए हाथ बढ़ाते दिखेंगे। और, चाहो तो घर का आदमी भी बैरी दिखेगा। इसमें से चुनना आपको ही है।
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सच ही है।
कहने को बात सुंदर लगती है , हक़ीक़त में हूबहू ऐसा है नहीं ।