मतिअंध सरकार, मध्य वर्ग नज़रअंदाज़

उपभोक्ता साजोसामान बनानेवाली विदेशी कंपनियां और फाइनेंस के खेल से जमकर कमाने की चाह में लगे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक दशकों से भारत पर फिदा हैं क्योंकि यहां का मध्य वर्ग उन्हें कई देशों से बड़ा बाज़ार नज़र आता है। भारत सरकार के पास अभी तक इसकी कोई गणना नहीं है कि देश के मध्य वर्ग का आकार कितना है। लेकिन विदेशी संस्थाओं के मुताबिक यह हमारी 144 करोड़ की आबादी का लगभग 30% यानी 43.20 करोड़ के आसपास या करीब 9.1 करोड़ परिवार हैं। उनके हिसाब से मध्य वर्ग का व्यक्ति वह है जो साल भर में 6000 डॉलर से लेकर 36,000 डॉलर तक कमाता है। दूसरे शब्दों में लगभग 5 लाख से लेकर 30 लाख रुपए तक सालाना। भारत के मध्य वर्ग का अनुमानित आकार वित्त वर्ष 2015-16 में 34.8 करोड़ व्यक्तियों का था। यह वित्त वर्ष 2030-31 तक 71.5 करोड़ और 2046-47 तक 101 करोड़ तक पहुंच सकता है। सरकार केवल मध्य वर्ग पर फोकस करे तो यह विशाल बाज़ार भारत को आसानी से 2047 तक विकसित देश बना सकता है। इसलिए यह सरकार की मतिअंधता है कि वो मेक-फॉर इंडिया के बजाय मेक-इन इंडिया के तहत विदेशी कंपनियों को निर्यात के लिए जमकर सहूलियत व प्रोत्साहन देती जा रही है। अब बुधवार की बुद्धि…

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