उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण ने इस बात की पुष्टि की है कि लोगों में व्यस्त जीवन शैली और बढ़ती आय के कारण डिब्बाबंद (पैक्ड) खाद्य पदार्थों और तैयार खाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इस डिब्बाबंद सुविधाजनक भोजन को मुख्यतया एकल परिवार में तरजीह दी जा रही है जहां पति व पत्नी दोनों कामकाजी हैं। साथ ही इस भोजन को अकेले व्यक्ति पसंद करते हैं जो बाहर खाना पसंद नहीं करते।
एसोचैम ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और पुणे जैसे शहरों सहित विभिन्न राज्यों के 3000 घरों का सर्वे किया। इसमें कहा गया है कि भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अगले पांच सालों में स्वस्थ विकास दर्ज कर सकता है। अनुमान है कि इस उद्योग की सालाना विकास दर अगले पांच वर्षों में 40 से 60 फीसदी होगी जिसका कारण लोगों में डिब्बाबंद खाने की बढ़ती लोकप्रियता है।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि मेट्रो शहर के लोग प्रसंस्कृत खाद्य के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं जिसका कारण वहां की बढ़ती प्रति व्यक्ति आय और जीवन शैली है जो तेजी से बदल रही है। सर्वे में कहा गया है कि वर्ष 2008 से 2010 के दौरान प्रसंस्कृत खाद्य पर उपभोक्ताओं का खर्च औसतन 7.6 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा है।