देश कहां से कहां पहुंचता जा रहा है और हम वहीं के वहीं अपनी चौहद्दी में सिमटे हैं! देश का काम हमारे बगैर चल सकता है, लेकिन हमारा काम उसके बगैर नहीं। इसलिए दौड़कर देश का साथ पकड़ना जरूरी है।
2010-11-24
देश कहां से कहां पहुंचता जा रहा है और हम वहीं के वहीं अपनी चौहद्दी में सिमटे हैं! देश का काम हमारे बगैर चल सकता है, लेकिन हमारा काम उसके बगैर नहीं। इसलिए दौड़कर देश का साथ पकड़ना जरूरी है।
© 2010-2020 Arthkaam ... {Disclaimer} ... क्योंकि जानकारी ही पैसा है! ... Spreading Financial Freedom
देश के साथ चलना है।