बीते हफ्ते शुक्रवार-शनिवार को एनएसई के सभागार में सेबी व एनआईएमएस ने दो दिन का सिम्पोजियम आयोजित किया। सम्वाद नाम की इस संगोष्ठी का केंद्रीय विषय था – कैपिटल फॉर ग्रोथ या संवृद्धि के लिए पूंजी। इसमें सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच से लेकर भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन तक के शिरकत की। साथ ही आए फाइनेंस की दुनिया के तमाम दिग्गज। इनमें आईआईएम बैंगलोर में फाइनेंस के प्रोफेसर वेंकटेश पंचपागेशन और कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने महफिल लूटने का काम किया तो एनआईएसएम के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने माहौल को ऊर्जावान बनाए रखा। सबकी चिंता यही कि विकास या संवृद्धि के लिए ज्यादा से ज्यादा पूंजी कैसे जुटाई जाए, चाहे यह इक्विटी के जरिए आए या कॉरपोरेट बॉन्ड के बाज़ार को बढ़ावा देकर। लेकिन सभी इस बात से चिंतित दिखे कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद विदेशी पूंजी भाग रही है। वैसे, देश में विदेशी पूंजी के इंतजाम पर भी सवाल उठे। मसलन कहा गया कि देश में 70 अरब डॉलर आते हैं तो 30 अरब डॉलर ही इस्तेमाल हो पाता है, जबकि बाकी 40 अरब डॉलर हमारा रिजर्व बैंक वापस अमेरिकी सरकार के बॉन्डों में निवेश कर देता है। इस बीच डॉलर महंगा होते-होते 86.71 रुपए तक चढ़ चुका है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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