भारत सरकार पर ऋण बोझ घट जाएगा इस साल के अंत तक: फिच रेटिंग्स

भारत सरकार पर ऋण का बोझ इस वित्त वर्ष के अंत तक थोड़ा घट जाएगा। यह आकलन है अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच का। फिच रेटिंग्स ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2009-10 के अंत में भारत सरकार का कुल ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 83 फीसदी था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2010-11 के अंत यानी मार्च 2011 तक यह घटकर जीडीपी के 80 फीसदी तक आ जाएगा। फिच ने यह आकलन इस अनुमान के मद्देनजर किया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का जीडीपी 8.5 फीसदी बढ़ेगा।

फिच रेटिंग्स ने पहले इस साल में जीडीपी में 7 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया था, जिसे उसने अब बढ़ा दिया है। उसका कहना है कि भारत सरकार पर ऋण का बोझ घटाने में मुख्य योगदान 3 जी और ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिलनेवाली 1.06 लाख करोड़ रुपए का है, जबकि बजट में इसका अनुमान 35,000 करोड़ रुपए का ही था। यह राशि 2010-11 के अनुमानित जीडीपी की 1.6 फीसदी है। लेकिन राजकोषीय घाटे पर इसका केवल एक फीसदी ही असर पड़ेगा। 2009-10 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.7 फीसदी था। 2010-11 में केवल टेलिकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिली रकम की वजह से यह 5.7 फीसदी पर आ जाएगा। वैसे, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट में अनुमान व्यक्त किया था कि राजकोषीय घाटा इस साल जीडीपी का 5.5 फीसदी रहेगा।

फिच रेटिंग्स के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के निदेशक एंड्रयू कोलक्यूहाउन का कहना है कि भारत में विकास की मजबूत संभावना और टेलिकॉम नीलामी से मिली राशि के आधार पर हमारा अनुमान है कि 2010-11 में सरकारी ऋण और जीडीपी का अनुपात घटेगा। इससे भारतीय मुद्रा की रेटिंग पर अल्पकालिक दबाव भी कम होगा। फिच ने रुपए की रेटिंग भी अब निगेटिव से बढ़ाकर स्टैबल कर दी है। लेकिन अगर भारत सरकार ने राजकोषीय घाटे को 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के हिसाब से कम नहीं किया तो रेटिंग को घटाने के हालात बन सकते हैं। बता दें कि 13वें वित्त आयोग ने कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 तक सरकार को केवल नए निवेश की जरूरत पूरा करने के लिए ही उधार लेना चाहिए। दूसरे शब्दों में तब तक सरकार का राजस्व घाटा शून्य हो जाना चाहिए। अभी इस साल के लिए राजस्व घाटे का अनुमान जीडीपी का 4 फीसदी रखा गया है।

वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत सरकार पर दिसंबर 2009 तक कुल 31,97,135.01 करोड़ रुपए का ऋण था। इसमें से सार्वजनिक ऋण (पब्लिक डेट) 25,98,012.32 करोड़ रुपए का था, जिसमें से 23,10,176.85 करोड़ रुपए आंतरिक स्रोतों से और 2,87,835.47 करोड़ रुपए विदेशी स्रोतों से लिए गए थे। विदेशी ऋण का भी लगभग 17 फीसदी भारतीय रुपए में है। इसके अलावा भारत सरकार के ऊपर उधार संबंधी 5,99,122.69 करोड़ रुपए की देयताएं अलग से थीं।

फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार के ऋण का तकरीबन 95 फीसदी हिस्सा स्थानीय मुद्रा, रुपए में होना काफी अच्छी बात है। इसलिए विदेशी प्रभावों को उसकी रेटिंग पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। बता दें कि 2009-10 में भारत का जीडीपी 44,64,081 करोड़ रुपए रहा है। दिसंबर 2009 तक सरकार का कुल ऋण इसका 71.62 फीसदी ठहरता है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक साल 2009 में सावर्जनिक ऋण व जीडीपी का अनुपात इटली में 115.2 फीसदी, ग्रीस में 113.4 फीसदी, आइसलैंड में 95.1 फीसदी, फ्रांस में 79.7 फीसदी, हंगरी में 78 फीसदी, जर्मनी में 77.2 फीसदी, पुर्तगाल में 75.2 फीसदी और ब्रिटेन में 68.5 फीसदी था, जबकि भारत में यह अनुपात 59.6 फीसदी था।

1 Comment

  1. नमस्ते,

    आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।

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