सरकार ने आईटी और आईटीईएस, दूरसंचार व विमानन सेवाओं के निर्यातकों को दिए जा रहे प्रोत्साहन वापस लेने की घोषणा की है। इस कदम से देश के सेवा क्षेत्र के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है।
भारत से सेवा योजना (एसएफआईएस) के तहत शुल्क क्रेडिट की पात्र सेवाओं की सूची को छोटा किया गया है। इसमें से कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों मसलन कंप्यूटर परामर्श सेवाएं, सॉफ्टवेयर क्रियान्वयन, डाटा प्रोसेसिंग और डाटाबेस सेवाओं को हटा दिया गया है।
एसएफआईएस के तहत निर्यातकों को चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल अर्जित विदेशी मुद्रा का दस फीसदी ड्यूटी क्रेडिट के रूप में दिया जाता है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से सेवाओं के निर्यातकों के लिए झटका है, खासकर ऐसे समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था के उबरने की गति काफी धीमी है।’’
देश में आईटी और आईटी आधारित सेवाओं का कुल बाजार 60 अरब डॉलर का है। इसमें निर्यात का हिस्सा 50 अरब डॉलर का है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि एसएफआईएस लाभ के हटने के बाद सॉफ्टवेयर निर्यातकों का मुनाफा प्रभावित होगा।
सरकार के इस कदम से जो अन्य सेवाएं प्रभावित होंगी, उनमें दूरसंचार, रीयल एस्टेट, वित्तीय और पाइपलाइन के जरिये ईंधन परिवहन की सेवाएं शामिल हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इन बदलावों की अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही इस सुविधा का फायदा लेने के लिए पात्रता नियमों को भी कड़ा किया गया है।