सब स्वाहा खर्च में, तो लोग बचाएं क्या!

राष्ट्रीय औसत यह है कि भारतीय लोग अपनी आय का 30% हिस्सा हारी-बीमारी या निवेश व आकस्मिक खर्चों के लिए बचाकर रखते हैं। लेकिन निम्न व मध्यम आय वाले घरों में ऐसी बचत 20% से भी कम रहती है। यह हकीकत रेडसीयर के सर्वे से सामने आई है। ऐसे परिवारों की अधिकांश आय खाने-पीने, इलाज और घर के किराए वगैरह पर खर्च हो जाती है। मध्यम वर्ग के 81%, उभरते मध्य-वर्ग के 78% और निम्न-आय वर्ग के 79% परिवार शेयर बाज़ार व म्यूचुअल फंड के बजाय बैंक बचत, फिक्स्ड डिपॉजिट व पोस्ट ऑफिस स्कीमों जैसे बचत के पारम्परिक तरीके अपनाते हैं। कोई संकट या आकस्मिक विपदा आने पर या बच्चों की पढ़ाई तक के लिए देश के 65% या दो-तिहाई परिवार आज भी दोस्तों या परिजनों का सहारा लेते हैं, जबकि 6% परिवार अपनी पुरानी बचत ही झोंक देते हैं या जेवर व घर जैसी संपदा तक गिरवी रख देते हैं। जब खर्च अपनी आमदनी से बढ़ जाता है तो कोई बचत न रखनेवाले एक चौथाई या लगभग 24% लोग माइक्रो-क्रेडिट, बैंक लोन और क्रेडिट कार्ड का सहारा लेते हैं। बैंगलोर के चलाई जा रही सलाहकार फर्म रेडसीयर के सर्वे ने देश की ज़मीनी हकीकत उजागर कर दी है। नई सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और नीतियां बदल देनी चाहिए। अब बुधवार की बुद्धि…

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